1 अप्रैल 2022 | जिले के सीएमएचओ कार्यालय से डॉक्टरों की ड्यूटी लगाए जाने के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। कुछ चिन्हित डॉक्टरों की ही वीआईपी ड्यूटी लगाई जा रही है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर विहीन हो गए हैं। इन केंद्रों में मरीजों का इलाज करने वाला कोई नहीं है। इन स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर ही नहीं है। मजबूरी में पदस्थ आरएचओ (रूरल हेल्थ अफसर) मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है। हर महीने 15-15 दिन तक 12-12 घंटे की शिफ्ट में एक ही डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है। इसके लिए महीनेभर पहले ही रोस्टर तैयार कर जारी कर दिया गया है। अप्रैल महीने का रोस्टर एक अप्रैल से पहले ही जारी कर दिया गया। इसके मुताबिक मुरमुंदा, पुरैना, दारगांव ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां पूरे अप्रैल महीने डॉक्टर पदस्थ नहीं रहेगा। जिले में 55 मेडिकल अफसर हैं, ड्यूटी कुछ की लग रही।
पीएचसी से डॉक्टरों को शिफ्ट कर लगाई जा रही ड्यूटी
पीएचसी पुरैना 4 महीने से डॉक्टर विहीन
स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त इस भर्रा साही में पीएचसी पुरैना के आस-पास रहने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित है। उनके घर के नजदीक संचालित 10 बिस्तर के अस्पताल में पिछले चार महीने से डॉक्टर नहीं है। क्योंकि यहां पदस्थ डॉ. आदित्य शर्मा की जनवरी से लगातार 15-15 दिनों की वीआईपी ड्यूटी कर रहे हैं। ड्यूटी के अगले दिन ऑफ लेने से अस्पताल डॉ. विहीन हो गया है।
प्रभारी के पत्र के बाद भी डॉक्टर की ड्यूटी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतई में प्रभारी के अनुसार डेली ओपीडी 200 से 300 की रहती है। उनके एक डॉक्टर परीक्षा की तैयारी में और दूसरे अवैतनिक अवकाश पर चले गए हैं। डॉ. देवांज्ञ चंद्राकर को वीआईपी ड्यूटी से कार्यमुक्त करने के लिए वह गई बार सीएमएचओ को पत्र लिख चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है। 7 की जगह 4 डॉक्टर रहने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही है।
सीधी बात
डॉ. जेपी मेश्राम, सीएमएचओ दुर्ग
प्र. महीने में 15-15 दिन एक ही डॉक्टर की वीआईपी ड्यूटी लगाई जा रही है, क्या नियम विरुद्ध नहीं है?
उ. जिले में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है। पुरानी व्यस्था है। ऐसे ही ड्यूटी लगते रही है। पूर्व के अधिकारियों ने ही इस व्यवस्था की शुरुआत की।
प्र. इससे तो अस्पताल डॉक्टर विहीन हो रहे हैं। आरएचओ से इलाज करवाना पड़ रहा है।
उ. कौन-कौन से अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है। कोई न कोई तो रहता ही है। मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही। सब ठीक चल रहा है।
प्र. आपकी इस व्यवस्था से डॉक्टर रहते हुए भी लोगों को बराबर इलाज नहीं मिल रहा है, यह तो गलत है?
उ. इस महीने ऐसा ही रहेगा। मई से एक डॉक्टर की महीने में दो दिन ही वीआईपी ड्यूटी लगेगी। इसका रोस्टर भी जारी कर दिया गया है। मरीजों को तकलीफ न हो, इसका भी ध्यान रखा जाता है।
Source :- “दैनिक भास्कर”