• May 31, 2024 7:25 pm

स्वदेशी इन्फ्रारेड हीटर से कम लागत में होगा कचरा निस्तारण, देश में ठोस कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती

23 फ़रवरी 2023 | देश में कचरे के ऊंचे होते पहाड़ पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन रहे हैं। इसके निस्तारण के लिए निरंतर प्रयास और नवाचार हो रहे हैं। सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने कचरा निस्तारण की दिशा में कई प्रयोग किए हैं। दिल्ली एनसीआर सहित देश के कई राज्यों में प्रदूषण का बड़ा कारण बनी पराली और अन्य कृषि अपशिष्ट के निस्तारण के लिए तकनीक की तलाश ने शहरी और फार्मा उद्योग के कचरे के निस्तारण की राह भी प्रशस्त की है। रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संचालित इन्क्यूबेशन सेंटर में इन्क्यूबेशन सेंटर में ऐसा स्वदेशी इन्फ्रारेड हीटर तैयार किया गया है, जो निर्वात चैंबर में मात्र एक यूनिट बिजली के खर्च में तीन किलो कचरे का निस्तारण करता है। इस प्रक्रिया में सिर्फ 10 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट ही बचता है। विज्ञानियों का दावा है कि कचरा निष्पादन की अन्य प्रक्रिया से यह विधि करीब 50 प्रतिशत सस्ती है।

इन्फ्रारेड किरणों से होगा कचरे का निस्तारण

इन्क्यूबेशन सेंटर के वरिष्ठों के निर्देशन में तकनीक विकसित करने वाले इंजीनियर मिहिर दीक्षित बताते हैं कि इस विधि में निर्वात की स्थिति बनाकर इन्फ्रारेड किरणों का प्रयोग किया जाता है। यह एक प्रकार से कचरा जलाने जैसी प्रक्रिया है, लेकिन इसमें आग नहीं लगती है। प्रक्रिया के दौरान हीटर की इन्फ्रारेड किरणों के प्रयोग से कचरा विभिन्न गैसों में बदल जाता है। इन गैसों को सुरक्षित बनाकर वातावरण में छोड़ने के लिए हीटर में एक फिल्टर भी लगाया गया है। सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों द्वारा वातावरण में इन गैसों की गुणवत्ता सामान्य पाई गई है। यह तकनीक विकसित करने में दो वर्ष का समय लगा है और हीटर में प्रयुक्त सभी उपकरण देश में बने हैं। इसका पेटेंट के लिए सत्यापन हो चुका है।

ठोस कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती

प्रतिदिन 40 किलो कचरे का निस्तारण करने वाले इन्फ्रारेड हीटर की कीमत अभी करीब 12 लाख रुपये है, जबकि प्रतिदिन छह टन कचरा निस्तारण करने वाले हीटर की कीमत लगभग एक करोड़ रुपये है। मिहिर कहते हैं कि देश में ठोस कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती है। जब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के इन्क्यूबेशन सेंटर में पराली के निस्तारण के लिए तकनीक विकसित करने पर कार्य आरंभ किया तो शहरों और फार्मा उद्योग से निकलने वाले खतरनाक कचरे पर भी ध्यान गया। तब कृषि अपशिष्ट के साथ ही अन्य कचरे पर भी प्रयोग आरंभ किया जिसके निस्तारण में सफलता मिली। यह तकनीक जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से पर्यावरण के लिए बढ़ रहे खतरे को कम करने के लिए काम करने वाले स्टार्टअप मल्हारी प्रोजेक्ट्स की देखरेख में इन्क्यूबेशन सेंटर में विकसित किया गया है।

कचरा प्रबंधन लागत को कम करने का लक्ष्य

यह स्टार्टअप नगर निगमों, स्मार्ट सिटी, टाउनशिप, केमिकल और फार्मा कंपनियों के साथ किसानों और फल व्यापारियों जैसे कचरा उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों व लोगों की मदद के लिए नवोन्मेष करता है। उद्देश्य है कि कचरा प्रबंधन लागत को आधी से भी कम किया जा सके। इस हीटर से कचरे के संग्रह, परिवहन, पृथक्करण, काम्पैक्टिंग, और डंपिंग वाली निस्तारण व्यवस्था को समाप्त करने में सहायक साबित हो सकता है।

ठोस अपशिष्ट से बनेंगी टाइल्स और ईंट

मिहिर दीक्षित बताते हैं कि कचरे का निस्तारण करने के बाद जो 10 प्रतिशत अपशिष्ट बचता है, उससे टाइल्स और ईंट बनाने में उपयोग किया जा सकता है।

अहमदाबाद नगर निगम में लगेगा हीटर

मिहिर के अनुसार मार्च के पहले सप्ताह से अहमदाबाद नगर निगम में इन्फ्रारेड हीटर से प्रायोगिक तौर पर कचरा निस्तारण किया जाएगा। मुंबई और पुणे नगर निगम से भी बात हो चुकी है।

सोर्स :– ” जागरण ”   

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