16-अक्टूबर-2021 | जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कपड़ा उद्योग में यार्न से लेकर फिनिश्ड फैब्रिक्स तक एक समान ड्यूटी लगाने की बात कही थी। वित्तमंत्री के इस बयान के बाद से ही सूरत के कपड़ा उद्योगपतियों में भारी नाराजगी है। वीवर्स और व्यापारियों का कहना है कि यदि जीएसअी 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी जाती है तो इससे वीवर्स को भारी नुकसान होगा। इससे जीएसटी चोरी बढ़ेगी। वहीं, यार्न उत्पादकों का कहना है कि एक समान जीएसटी लगाने से कपड़े का तेजी से विकास होगा। उद्यमियों की पूंजी जो कि सरकार के पास क्रेडिट रहती थी, वह जाम नहीं होगी।
अधिकारियों को सर्वे कर डेटा जुटाने का आदेश
कपड़ा उद्योग पर जीएसटी की दरो में परिवर्तन नहीं करने की मांग करने पर वित्त मंत्रालय ने जीएसटी अधिकारियों से सर्वे करके डेटा जुटाने का आदेश दिया है। स्टेट जीएसटी कमिश्नर एबी मेहता ने चैंबर समेत अन्य व्यापारी संस्थाओ से सूरत में कार्यरत विवर्स और जीएसटी रिफंड की जानकारी मांगी है। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा।
वीवर्स क्रेडिट के सहारे दूसरा टैक्स चुकाते हैं
फैडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क विविंग इंडस्ट्री के चेयरमैन भरत गांधी और सचिन के अग्रणी कपड़ा उद्यमी मयूर गोलवाला ने बताया कि यार्न खरीदते हैं तो 12 प्रतिशत जीएसटी चुकाते हैं। ग्रे पर 5 प्रतिशत जीएसटी होेने से उनकी 7 प्रतिशत ड्यूटी क्रेडिट बच जाती है। विवर्स इसके सहारे अन्य टैक्स चुकाते हैं तब भी तीन-चार प्रतिशत ड्यूटी उनके पास क्रेडिट रहती है।
कपड़ा महंगा होने और जीएसटी चोरी होने का डर
फोस्टा के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि सूरत की साड़ियां और ड्रेस मैटेरियल्स गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। साड़ी और ड्रेस मैटेरियल पर जीएसटी 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी जाती है तो साड़ियों की कीमत सीधे 100 रुपए से ज्यादा बढ़ जाएगी। जो व्यापारी अभी 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाने से कतराते हैं वह 12 प्रतिशत होने पर सीधे चोरी करने लगेंगे। कपड़े का निर्यात भी महंगा हो जाएगा।
Source;-“दैनिक भास्कर”