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क्या कहता है विज्ञान: क्या है गुरु ग्रह के विशाल लाल धब्बे का रहस्य?

ByADMIN

Mar 27, 2023 ##giant, ##Jupiter, ##science

27 मार्च 2023 |  सौरमंडल के हर ग्रह की अलग अलग पहचान होती है, कुछ को दूर से खुली आंखों से यानि कि बिना किसी दूरबीन की मदद से ही पहचाना जा सकता है. पृथ्वी  के बारे में कई लोगों का मानना है कि दूर से यह एक नीले कंचे की तरह दिखती है, तो वहीं मगल ग्रह की लालिमा उसकी पहचान बनाती है. शनि के वलय उसे उसकी विलक्षण पहचान देते हैं. उसी तरह गुरु ग्रह को उसके ग्रेट रेड स्पॉट यानि विशाल लाल धब्बे से पहचाना जाता है. इस तरह का धब्बा सौरमंडल के किसी और ग्रह तो क्या, अभी तक के खोजे गए किसी बाह्यग्रह में भी दिखाई नहीं दिया है, लेकिन आखिर यह धब्बा क्या है और कैसे बना? इस बार यही जानने का प्रयास करते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान (What does Science Say)?

क्या कोई तूफान?
गुरु ग्रह एक गैसीय ग्रह है और बाहर से गुरु जैसा दिखाई देता है वह उसका वायुमडंल ही होता है यानि जो लाल धब्बा गुरु का दिखता है वह उसके वायुमंडल की एक विशेष आकृति है जिसके आगे पृथ्वी के वायुमंडलीय आकृतियां (जैसे की चक्रवाती तूफान) कुछ भी नहीं हैं वैसे तो इसकी व्याख्या के लिए कई तरह की कल्पनाएं की गई हैं, लेकिन सबसे नजदीकी किसी विशाल तूफान की आकृति को दर्शाती लग रही है.

कितना बड़ा और पुराना?
पृथ्वी पर सबसे विशाल हरिकेन या चक्रवाती तूफान करीब एक हजार मील लबें और 200 मील प्रतिघंटा की रफ्तार वाले होते हैं. लेकिन गुरु ग्रह पर यह विशाल लाल धब्बा पृथ्वीसे ही 1.3 गुना ज्यादा बड़ा है और यहां की हवाएं 400 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं. गणनाओं के आधार पर वैज्ञानिकों का अनुमान यह है कि यह धब्बा कम से कम 150 साल या ज्यादा से ज्यादा 400 या उससे भी ज्यादा पुराना हो सकता है. जबकि पृथ्वी का सबसे लंबा तूफान केवल 31 दिन ही लंबा चला था.

गुरु का आकार भी वजह?
लेकिन इतना विशाल तूफान इतने लंबे समय तक कैसे चल सकता है यह एक सवाल है. इसकी वजह खुद गुरु ग्रह एक कारक है क्योंकि गुरु पृथ्वी से करीब एक हजार गुना ज्यादा बड़ा है, फिर भी गैस से ही बना हुआ है यानि यहां कोई ठोस सतह या जमीन नहीं हैं जो पृथ्वी की तरह इस तूफान को कम कर सके. लेकिन फिर भी यह काफी नहीं है कि इसका आकार इतना बड़ा हो जाए.

एक कन्वेयर बेल्ट की तरह
विशाल लाल धब्बा इतना लंबा है क्योंकि यह दो शक्तिशाली जेट धाराओं के बीच में स्थित है जिनकी दिशा एक दूसरे से विपरीत है. वैज्ञानिकों का दावा है कि तूफान एक चक्र की तरह घूम रहा है जिसमें ये दो धाराएं कन्वेयर बेल्ट की तरह काम कर रही हैं. लेकिन इतना लंबा अंतराल होने के बाद भी यह धब्बा लगातार सिकुड़ रहा है.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”   

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