• April 29, 2024 2:47 am

कौन हैं ‘समुद्री माता…’ जिसके सहारे ताइवान के चुनाव में टांग अड़ा रहा चीन

21 दिसंबर 2023 ! ताइवान में अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव है और चीन यहां अपनी पैठ कायम करने की तमाम कोशिशों में जुटा है. चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए शी जिनपिंग ‘समुद्री माता’ का सहारा ले रहे हैं. जिनपिंग यहां चीन समर्थित राष्ट्रपति स्थापित करना चाहते हैं, जो वन चाइना पॉलिसी को आगे बढ़ाने में मददगार होगा. इसके लिए ताइवान के ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं को धार्मिक मोर्चे पर लामबंद करने की कोशिश की जा रही है, जहां ‘समुद्री माता’ या ‘शांति माता’ के रूप में मशहूर ‘माता’ माजू के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सख्त नीतियां हटाए जाने के बाद से ताइवान के ग्रामीण इलाकों में धार्मिक गतिविधियां बढ़ी है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी और चीनी मीडिया की वेबसाइट पर धार्मिक यात्राओं की खबरें भी छाई है. खासतौर पर ‘समुद्री माता’ कही जाने वाली ‘माता’ माजू के अनुयायियों ने दर्जनों धार्मिक यात्राएं की हैं. बताया जाता है कि ताइवान में ‘समुद्री माता’ के दसियों लाख अनुयायी हैं.

ताइवानी सुरक्षा अधिकारियों, सुरक्षा दस्तावेजों और माजू मंदिर के पुजारियों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ताइवान के धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप कर राजनीतिक मोर्चे पर चुनाव को प्रभावित करना चाहता है. ताइवानी सुरक्षा अधिकारी भी मानते हैं कि चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी लोगों को ताइवान धार्मिक यात्राओं पर भेज रहा है. यात्रा का खर्च भी चीनी शासन वहन करता है. इसके जावब में ताइवानी शासन ने भी धार्मिक गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है.

ताइवान में अगले महीने 13 जनवरी को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. ताइवानी अधिकारियों का मानना है कि कम्यूनिस्ट पार्टी चीन समर्थित पार्टियों के लिए मतदान को प्रभावित करने की कोशिश में है. चुनाव से यह स्पष्ट हो सकेगा कि आखिर ताइवान और चीन के बीच अगले चार साल संबंध कैसा रहेगा, जहां अमेरिका आए दिन उसकी नीतियों के खिलाफ ताइवानी शासन के फैसलों को प्रभावित करता है. ताइवान की राजनीति दो धड़ों पर चलती है, जिनमें एक धड़ा मानता है कि ताइवान और चीन को साथ मिलकर काम करना चाहिए, और चीन के साथ ही रहना चाहिए. जबकि सत्तारूढ़ प्रोग्रेसिव पार्टी की नीतियां पश्चिम समर्थित है.

बीते कुछ सालों में देखा गया है कि चीन ने ताइवान में माजू के मानने वालों और अन्य धार्मिक गतिविधियों में शामिल लोगों में अपनी पैठ जमा ली है. बाजाब्ता धार्मिक मामलों पर एक मंत्रालय भी काम करता है, जो ताइवान में रह रही ईसाई, बौद्ध और ताओवादी लोगों से बात करते हैं और उन्हें समर्थित पार्टी को वोट करने के लिए प्रेरित करते हैं. ‘माता’ माजू को मानने वाले लोग ताइवान और चीन के सीमाई इलाकों में रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पांच ताइवानी माजू मंदिर के संचालक चीन स्थित मंदिरों के साथ संपर्क में रहते हैं, जिसपर चीनी शासन का दबदबा है और इसी के माध्यम से वो चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

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