• May 21, 2024 8:21 pm

कोविड से अनाथ बच्चे पर दादा-दादी या नाना-नानी में किसका होगा हक,  सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

09  जून 2022 | सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोविड-19 की खतरनाक दूसरी लहर में अनाथ हुए छह साल के लड़के का संरक्षण बृहस्पतिवार को उसके दादा-दादी को सौंपते हुए कहा कि भारतीय समाज में हमेशा दादा-दादी अपने पोते-पोतियों की ‘‘बेहतर देखभाल'' करते हैं। लड़के के पिता और मां की मौत अहमदाबाद में क्रमश: 13 मई और 12 जून को हुई थी और बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने लड़के की हिरासत उसकी मौसी को दे दी गयी।
 

 न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि हमारे समाज में दादा-दादी हमेशा अपने पोते की बेहतर देखभाल करेंगे। वे अपने पोते-पोतियों से भावनात्मक रूप से अधिक करीब होते हैं और नाबालिग को दाहोद के मुकाबले अहमदाबाद में बेहतर शिक्षा मिलेगी।
 

बहरहाल, पीठ ने कहा कि मौसी के पास लड़के से मिलने का अधिकार हो सकता है और वह बच्चे की सुविधा के अनुसार उससे मुलाकात कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि लड़के को दादा-दादी को सौंपने से इनकार करने का एकमात्र मापदंड आय नहीं हो सकती है। हाई कोर्ट ने कहा था कि लड़का अपने दादा-दादी के साथ सहज है। हालांकि, उसने बच्चे का संरक्षण इस आधार पर मौसी को दे दिया था कि वह ‘‘अविवाहित है, केंद्र सरकार में नौकरी करती है और एक संयुक्त परिवार में रहती है, जो बच्चे की परवरिश के लिए अनुकूल होगा।

सोर्स ;-“पंजाब केसरी” 

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