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सीमा को जम्मू में ई-रिक्शा चलाते देख ठिठक जाती हैं महिलाएं, प्रदेश की पहली महिला चालक बनीं

ByADMIN

Nov 2, 2022 ##jammu, ##state, ##Women
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02 नवंबर 2022|  जम्मू से लगे नगरोटा के एक छोटे से गांव टोक वजीर की सीमा ने परिवार और समाज की सारी बाधाओं को तोड़ते हुए ई-रिक्शा चला कर नई मिसाल पेश की है। हो भी क्यो न, क्योंकि बेटियां कुछ अलग करें तो वह गौरव की बात है, लेकिन यही काम बहु करे तो यह और भी बड़ी बात है। सीमा के जज्बे को देखते हुए गांव से शहर तक हर कोई सराहना और हौसलाअफजाई कर रहा है। मौजूदा समय में सीमा देवी जम्मू-कश्मीर की पहली ई-रिक्शा चालक हैं। उनके रिक्शा में बैठ कर हर कोई उनके जज्बे को सलाम कर रहा है।

वह चार माह से जम्मू शहर के नगरोटा में ई-रिक्शा चला कर परिवार चलाने में पति का सहयोग कर रही हैं। बच्चों को उच्च शिक्षा देना ही मुख्य लक्ष्य है। अपने गांव से लेकर सैनिक स्कूल नगरोटा और जम्मू के तमाम बजारों में खुशी के साथ रोजाना ई-रिक्शॉ चला रही हैं। टोक वजीर गांव से सुबह छह बजे सवारियां लेकर निकलती हैं। इसके बाद साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक बच्चों को स्कूल में पहुंचाती हैं। साथ ही बच्चों और घर की अन्य जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन करती हैं।

वाहन चलाने में पति ने किया समर्थन

सीमा देवी ने कहा कि चालक बनने में पति ने पूरा समर्थन किया है। उन्होंने हई-रिक्शा चलाना सिखाया है। कुछ लोगों ने कहा कि महिलाओं के लिए ई-रिक्शा चलाना अच्छा कार्य नहीं है। लेकिन अब जब वाहन लेकर निकलती हूं तो सभी सम्मान देते हैं। महिलाओं को अच्छे कामों में बढ़-चढ़कर आगे आना चाहिए।

ई-रिक्शा चलाने से पूरा हुआ शौक, परिवार के लिए बनीं सहारा

ई-रिक्शा चालक सीमा देवी ने बताया कि वाहन चलाने का शौक था। स्कूटर चलाने की काफी कोशिश की लेकिन नहीं सीख पाई। अन्य लोगों को वाहन चलाते देख दुख होता था। इसके बाद पति की मदद से चार माह पहले ई-रिक्शा चलाना सीखा है। श्रीअमरनाथ यात्रा के दौरान गांव से नेशनल हाईवे तक ई-रिक्शा को लेकर गई थी। दो माह में पूरी तरह सीख चुकी हूं। ई-रिक्शा चलाने से वाहन चलाने का भी शौक पूरा हो गया। साथ ही परिवार चलाने में पति का भी सहयोग हो रहा है। अब पहले की तरह परिवार का खर्चा उठाने में दिक्कत नहीं आती। तीन बच्चे हैं जिनकी स्कूल फीस, किस्त भरना ऋण सहित अन्य खर्च चलाना आसान हो गया है।

खुद ज्यादा नहीं पढ़ सकी, बच्चों को देनी है उच्च शिक्षा

महिला चालक ने कहा कि मैं आठवीं पास हूं। पढ़ने का शौक था, लेकिन नौवीं कक्षा में दाखिले के दौरान रिश्ता तय हुआ। ससुराल वालों ने कहा कि मुलाजिम बहू की जरूरत नहीं है। उसी समय शादी हो गई, जिससे पढ़ाई अधूरी रह गई। खुद तो पढ़ नहीं सकी, लेकिन अब बच्चों को उच्च शिक्षा देना लक्ष्य है।

सोर्स :-“अमर उजाला ”                          


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