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नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के 11 ग्रांटेड कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया की लिस्ट से बाहर, छात्रों को नहीं मिलेगा प्रवेश

ByPrompt Times

Aug 12, 2021

12 अगस्त 2021 | वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी से जुड़े ग्रांटेड कॉलेजों को अलग करने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रांटेड कॉलेजों की दुविधा बढ़ गई है। सार्वजनिक एजुकेशन सोसाइटी ग्रांटेड कॉलेजों को लेने को तैयार नहीं है। वहीं, प्रोफेसर और छात्र ग्रांटेड कॉलेज को नर्मद यूनिवर्सिटी से निकाले जाने के पक्ष में नहीं हैं। इसके बावजूद नर्मद यूनिवर्सिटी एकाधिकार का उपयोग करके ग्रांटेड कॉलेजों को प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भेज रही है।

यूनिवर्सिटी का कहना है कि राज्य सरकार के नियमानुसार यह निर्णय लिया गया है, जबकि शिक्षक संघ का जवाब है कि यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के निर्णय का गलत मतलब निकालते हुए ग्रांटेड कॉलेजों को प्राइवेट यूनिवर्सिटी में शामिल कर रही है। ग्रांटेड काॅलेजों का संकट अब और बढ़ गया है। नर्मद यूनिवर्सिटी की प्रवेश प्रक्रिया से भी इन्हें बाहर कर दिया गया है। जिन कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से बाहर किया गया है उनमें प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। राज्य सरकार के फैसले के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।

बता दें, नर्मद यूनिवर्सिटी ने प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन ग्रांटेड कॉलेजों को लेकर विवाद चल रहा है उन्हें प्रवेश प्रक्रिया से अलग कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी ने एक लिस्ट जारी की है जिसमें कॉलेज और सीटों का उल्लेख है। लिस्ट में सार्वजनिक सोसाइटी, वनिता विश्राम अौर उका तरसाड़िया के कुल 11 ग्रांटेड कॉलेजों के नाम नहीं हैं।

सरकार के आदेश पर निर्णय वापस ले लेंगे
नर्मद यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. किशोर चावड़ा ने बताया कि जब तक राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आता तब तक हम कुछ नहीं कर सकते हैं। राज्य सरकार ने जो आदेश दिया था उसके आधार पर ही फैसला लिया गया है। अब आगे का फैसला भी राज्य सरकार को ही लेना है। राज्य सरकार का आदेश आते ही हम निर्णय वापस ले लेंगे।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी नहीं दे रही छात्रों को प्रवेश
विवाद बढ़ने के बाद 11 ग्रांटेड कॉलेजों को छोड़कर शेष सभी कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। निजी यूनिवर्सिटी भी इन कॉलेजों में प्रवेश नहीं दे रही है। इन कॉलेजों को बीच में छोड़ दिया गया है। इसमें प्रवेश लेने के लिए छात्र सांसद, विधायक और मंत्रियों की पहचान लगाते थे।

6 ग्रांटेड कॉलेजों में ही हो रहा है प्रवेश
ग्रांटेड कॉलेजों को बाहर निकालने से 12,000 सीटें कम हो गई हैं। ये ऐसी सीटें हैं, जिन पर गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों काे प्रवेश दिया जाता रहा है। 11 ग्रांटेड कॉलेजों काे बाहर निकालने से अब शहर में केवल 6 ग्रांटेड कॉलेज ही बचे हैं, जिसमें प्रवेश दिया जा रहा है। ग्रांटेड कॉलेजों को लेकर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो छात्रों को भारी नुकसान होगा।

ग्रांटेड कॉलेजों के प्रोफेसर्स भी निजी यूनिवर्सिटी में शामिल होने को तैयार नहीं
ग्रांटेड कॉलेजों के शिक्षक और शिक्षक संघ के सदस्य भी इसका विरोध कर रहे हैं। शिक्षक भी निजी यूनिवर्सिटी में शामिल होने को तैयार नहीं हैं। शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी से स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि हम इसमे पक्ष में नहीं हैं। शिक्षक संघ के सदस्य केतन देसाई ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से निर्णय लिया है। वहीं, शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन नारण ने बताया कि नर्मद यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें राज्य सरकार का आदेश भी नहीं दिखाया जा रहा है। ग्रांटेड कॉलेजों के प्रिंसिपल ने यूनिवर्सिटी को लिखित आवेदन दिया है कि वे इसके पक्ष में नहीं हैं। इसके बावजूद नर्मद यूनिवर्सिटी ग्रांटेड कॉलेजों को बाहर करने पर तुली है।

हम ग्रांटेड कॉलेजों को शामिल नहीं करना चाहते:

कमलेश याग्निक सार्वजनिक एजुकेशन सोसाइटी के चेयरमैन कमलेश याग्निक ने कहा कि हमने नर्मद यूनिवर्सिटी या राज्य सरकार से ग्रांटेड कॉलेजों को निजी यूनिवर्सिटी में शामिल करने की मांग नहीं की है। सार्वजनिक सोसाइटी के कॉलेजों को ही शामिल करने की मांग की गई थी, जो मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अचानक निर्देश दिया गया कि ग्रांटेड कॉलेजों को सार्वजनिक सोसाइटी में शामिल कर दिया जाए। हालांकि इसकी पूरी जानकारी हमारे पास नहीं है। हम ग्रांटेड कॉलेजों को अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं। ग्रांटेड कॉलेजों केे कर्मचारियों पर वार्षिक 20 करोड़ का खर्च है, जबकि छात्रों की फीस से केवल 45 लाख की आय होगी। यही कारण है कि हम ग्रांटेड कॉलेजों को शामिल नहीं करना चाहते हैं। ग्रांटेड कॉलेजों के निजी यूनिवर्सिटी में शामिल होने से छात्रों को दोगुनी फीस चुकानी होगी।

Source;-“दैनिक भास्कर”  

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