• May 14, 2024 3:53 pm

दिसंबर से फरवरी अंत तक 20 ट्रेनें रद्द-रेलवे की दिव्यदृष्टि कहती है- मार्च तक पड़ेगा कोहरा

30  अक्टूबर 2021 | रेलवे इस बार भी कोहरे में ट्रेनों को ‘प्रभावित’ होने से नहीं रोक पाएगा। कोहरे के बीच ट्रेनें चलाने की तकनीक लाने के लिए रेलवे 25 साल से प्रयोग व दावे कर रहा है लेकिन नतीजा नहीं मिला है। हां, मौसम का पूर्वानुमान हर साल की तरह इस बार भी अभी से लगा लिया है कि मार्च से पहले तक भारी कोहरा पड़ेगा। ऐसे में फरवरी अंत तक 20 ट्रेनें रद्द कर दी हैं।

बता दें कि रेलवे बेहतर सुविधाएं देने का वादा करता रहा है लेकिन धरातल पर सुधार नहीं हुआ है। कोहरे में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने और उन्हें लेटलतीफी से बचाने के लिए रेलवे के पास कारगर उपाय नहीं है। अलग-अलग तकनीक और डिवाइस बनाने का 25 वर्षों से प्रयोग ही चल रहा है।

हर साल 300 करोड़ का नुकसान, फिर भी सार्थक उपाय नहीं

  • प्रदेश में 1586 किलोमीटर ट्रैक पर रेलवे 436 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।
  • ट्रेनें रद्द करने पर रेलवे को हर साल लगभग 300 करोड़ का नुकसान होता है।

रेलवे ने परिपाटी ही बना ली
रेलवे पिछले 5 साल से दिसंबर से मार्च तक कई ट्रेनों को कोहरे के पूर्वानुमान पर रद्द करता आया है। जनवरी तक रद्द 10 से अधिक ट्रेनों को बाद में मार्च तक रद्द करता रहा है। रेलवे ने इसे परिपाटी ही बना लिया है। इसी कड़ी में मंगलवार को 20 ट्रेनों को फरवरी अंत तक रद्द करने का फरमान जारी कर दिया।
500 से अधिक डिवाइस लगाई, वे भी फेल साबित
उत्तर-पश्चिम रेलवे ने ट्रेनों को समय पर दौड़ाने के लिए 3 साल पहले चारों मंडलों के इंजनों में 500 से अधिक फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाई थीं। अकेले जयपुर मंडल में 200 डिवाइस लगाई गई लेकिन ट्रेनें लगातार लेट ही हो रही हैं। जयपुर की 50 ट्रेनों में डिवाइस लगाई गई हैं लेकिन नतीजा सिफर ही है। अब इसी डिवाइस को रेलवे ने ‘कवच’ नाम देकर फिर से करोड़ों रुपए खर्च करने की योजना बनाई है।

पुराने सिस्टम ट्रायल पर ही
कोहरे से निपटने के लिए ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम, एंटी कोलिजन सिस्टम, टेरिन इमेजिंग फोर डीजल ड्राइविंग सिस्टम के साथ फॉग लाइट्स लगाने की तैयारी लंबे समय से हो रही है। इनका अध्ययन ही चल रहा है। 100 इंजनों में सिस्टम लगा वह भी ट्रायल पर ही है।

मेल/एक्सप्रेस की 1 ट्रिप रद्द तो 2.50 लाख का घाटा
मेल/एक्सप्रेस की 1 ट्रिप रद्द होने पर रेलवे को 2.50 लाख का नुकसान होता है। ट्रेन में प्राय: 21 कोच होते हैं। इनमें अधिकांश एसी/नॉन-एसी कोच रिजर्वेशन के हैं। सर्दी में रेलवे को 300 करोड़ का नुकसान होता है। यात्रियों को कन्फर्म टिकट भी नहीं मिल पाता।

Source :- दैनिक भास्कर

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