• May 4, 2024 9:54 am

दुबई के कॉप 28 सम्मेलन की 3 बड़ी बातें…अजरबैजान को लेकर अभी से ही क्यों हो रहा विवाद?

14 दिसंबर 2023 ! कॉप यानी कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज दुनिया का सबसे बड़ा जलवायु शिखर सम्मेलन है. इसे यूनाइटेड नेशन आयोजित करता है. कॉप 28 यानी कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज का 28वां एडिशन इस बार 28 नवंबर को शुरू हुआ. 12 दिसंबर तक चलना था लेकन 13 दिसंबर, बुधवार को समाप्त हुआ. करीब दो हफ्ते चलने वाला यह सम्मेलन दुबई के एक्सपो सिटी में आयोजित हुआ. यूएई की अध्यक्षता थी जिसका बड़ा विरोध भी हुआ. विरोध की वजहों पर आएंगे लेकिन पहले एक रिकैप और इस सम्मिट का हासिल.

लगभग 140 देशों के राष्ट्रध्यक्ष, 70 हजार से अधिक प्रतिभागी, जलवायु मामलों के एक्सपर्ट दुबई में जुटे. भारत की ओर से कॉप 28 में हिस्सा लेने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 30 नवंबर ओर 1 दिसंबर को दुबई पहुंच इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुए. सम्मिट के आखिरी दिन वह ऐलान हुआ जिसकी दुनिया को पहले ही दिन से आस थी. आखिरी दिन सम्मेलन में फॉसिल फ्यूल यानी कोयला, तेल, गैस का इस्तेमाल बंद करने पर सहमति बन गई. कुछ एक आलोचनाओं से इतर इसको ऐतिहासिक समझौता कहा गया.

पहला – तीन दशकों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु समझौतों में सीधे तौर पर फॉसिल फ्यूल का जिक्र करने से बचता रहा. उसकी वजह दुनिया के ऐसे देश थे जो तेल और गैस का उत्पादन बड़े पैमाने पर करते हैं. वह हर बार इस बिंदु पर अड़ंगा लगा दिया करते थे लेकिन इस बार यर यथास्थिति टूटी. तय हुआ कि आहिस्ता-आहिस्ता फॉसिल फ्यूल से किनारा कर लिया जाएगा.

दूसरा – तय हुआ है कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 43 प्रतिशत तक कम किया जाएगा. साथ ही 2035 तक इसे 60 फीसदी तक घटाने पर सहमति बनी है. एक ओर कार्बन एमिशन को कम करना, वहीं दूसरी तरफ रिन्यूएबल एनर्जी को तीन गुना करने का करार हुआ है.

तीसरा – वैसे देश जो या तो जलवायु परिवर्तन का दंश झेल रहे हैं और विकासशील हैं, पैसे जिनके पास इतना ज्यादा इस विभीषिका से लड़ने को नहीं हैं, उनके लिए एक लॉस और डैमेज फंड भी बनाया गया है. कई देशों ने इसमें अपनी भागीदारी देने की बात की है. तकरीबन 700 मिलियन डॉलर का सहयोग करने पर सहमति बनी है.

कॉप क्या है, कब बना, मकसद क्या था?

साल 1992 में इसकी स्थापना हुई. ये जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, बोले तो यूएनएफसीसीसी का एक अंग है. यह जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर बहस-मुबाहिसा करता है और फैसले लेता है. दुनिया के करीब 197 देशों के प्रतिनिधियों ने यूनाइटेड नेशंस के इस फ्रेमवर्क पर साइन किया हुआ है. दस्तखत करने वाले जितने प्रतिनिधि हैं, उन्हें पार्टीज कहा जाता है. सभी प्रतिनिधि चूंकि एक कांफ्रेंस के लिए जुड़ते हैं, इसलिए यह कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज कहलाता है. यह इसका 28वां संस्करण था, इसलिए इसे कॉप 28 कहा गया.

कॉप 29 अगले साल अजरबैजान में होगा

अब अगले बरस दुनिया का सबसे बड़ा जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप 29) अजरबैजान में होगा. नवंबर 2024 में अजरबैजान की मेजबानी से पहले ही दुनिया जहान के पर्यावरण एक्टिविस्ट अजरबैजान की आलोचना करने लगे हैं. आलोचना के दो मुख्य सिरे हैं. पहला – जलवायु परिवर्तन को लेकर समाधान की बात उस देश में जो बड़े पैमाने पर तेल का उत्पादन करता है. दूसरा – अजरबैजान पर मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लगते रहे हैं. अजरबैजान दरअसल तेल का उत्पादन और निर्यात करने वाले ओपेक का हिस्सा नहीं है. हां, अजरबैजान औपेक प्लस जिसमें ओपेक के अलावा 11 और देश हैं, उसका भागीदार है.

 

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

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