अक्टूबर 19 2023 ! झारखंड की राजधानी रांची के नगरी स्थित दुर्गा मंदिर में नवरात्र को लेकर 9 दिनों का कथा का कार्यक्रम चल रहा है. हालांकि, नवरात्रि के दौरान जगह-जगह मंदिर में कथा होते हुए आपने देखा ही होगा. लेकिन नगरी के दुर्गा मंदिर में जो कथा हो रही है, उसकी एक विशेष बात यह है कि यह कथा कोई बड़े कथावाचक नहीं.बल्कि, मात्र 8 साल की बच्ची लोगों को कथा सुना रही है.
दरअसल, यह 8 साल की कथावाचक बच्ची का नाम है अनुष्का पाठक. ये मूल रूप से गोरखपुर की रहने वाली है और फिलहाल रांची में कथा सुनाने के लिए आई है. लोकल 18 से खास बातचीत कर अनुष्का ने बताया मुझे लोगों को कथा सुनाना काफी पसंद है.इससे मुझे काफी शांति व प्रसन्नता मिलती है.भगवान के बताए हुए मार्ग पर चलना और लोगों को चलने के लिए प्रेरित करना ही मेरा जीवन का उद्देश्य है.
अनुष्का के पिताजी वशिष्ठ पाठक ने बताया जब यह ढाई साल की थी तभी से उसने कथा सुनना शुरू कर दिया था.मेरे बड़े भाई बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और वेद ग्रंथ का हमेशा अध्ययन करते रहते हैं.बचपन से ही यह उनके सानिध्य में रही है.इसलिए उनका असर अनुष्का पर काफी पड़ा.जब बड़े भैया रामचरित्र मानस या अन्य ग्रंथ पढ़कर इसको सुनाते तो मात्र ढाई साल की उम्र में इसने कहा कि मैं भी कथा बोलूंगी.
उन्होंने आगे बताया जब हमने कहा कि ठीक है एक कथा बोलो तब उसने इतनी खूबसूरत कथा इतनी छोटी उम्र में बोली कि सब सुनकर आश्चर्यचकित रह गए. इतनी खूबसूरत बोलने की शैली, बोलने का तरीका, संयम व सटीक जानकारी और भाषा का ज्ञान.यह सारी चीज इसकी कथा में देखने को मिली.
अनुष्का ने बताया ज्ञान पाने के लिए सात्विक भोजन काफी जरूरी है.मैं कभी बाहर का नहीं खाती.इसके अलावा शुद्ध और अशुद्ध भोजन का ज्ञान होना चाहिए.क्योंकि शुद्ध भोजन से सी हमारे अंदर शुद्ध विचार आते हैं. क्योंकि मेरे पिताजी खुद पुजारी है इसीलिए कुछ चीज उन्होंने मुझे समझाया है. मैं बाहर भी खेलने नहीं जाती.जब मन करता है तो घर में ही कुछ हल्का अपने बहनों के साथ खेल लेती हूं. अनुष्का ने आगे बताया मैं बड़ी होकर कथावाचक ही बनना चाहती हूं.अभी जो मैं कर रही हूं इसी को मैं आगे बढ़ाऊंगी.अभी मैं कई राज्यों में जाकर कथा करती हूं.जैसे गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल, बिहार, दिल्ली व राजस्थान. इस बार रांची पहली बार आई हूं और लोगों का प्रेम देखकर काफी प्रसन्न हू.
अनुष्का ने बताया जिंदगी अच्छी तरीके से जीने के लिए हमें भगवान राम से कुछ चीज़ सीखने की आवश्यकता है.जैसे जब उनका राजअभिषेक हो रहा था.तभी वह इतने प्रसन्न नहीं थे, बस चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी और जब दूसरे दिन उन्हें पता चला कि उनको 14 वर्ष का वनवास मिला है.तब भी वह बेचैन नहीं थे.बस चेहरे पर हल्की मुस्कान थी.किसी भी परिस्थिति में एक समान रहना,आनंद में रहना यही जीवन जीने की कला है.
सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”