अक्टूबर 18 2023 ! बीते कुछ दशकों में कैंसर ने बहुत आम बीमारी के रूप में अपने पैर पसार लिए हैं. हमारे घर-परिवार, दोस्ती-यारी, फ्लैट-मोहल्लों में भी कैंसर जैसी दर्दनाक बीमारी से जूझ रहे कई मामले मिल जाते हैं. लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा कि कैंसर कैसे होता है और इसे रोकने के लिए हमारा क्या योगदान हो सकता है?
दिल्ली-एनसीआर की रहने वाली भाग्यश्री भंसाली जैन की मां को ब्रेस्ट कैंसर था. उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने भाग्यश्री को बताया कि यह कैंसर उन्हें भी हो सकता है. इससे वह डर गईं. फिर उन्होंने इस पर रिसर्च की और उन्हें पता चला कि कैंसर का मुख्य सोर्स माइक्रोप्लास्टिक होते हैं. बस कम उम्र में ही उन्होंने ठान लिया कि अब वह प्लास्टिक को रीसाइकिल करके देश को बेहतर बनाएंगी.
स्कूल-कॉलेज के दौर में ज्यादातर बच्चे अपनी जिंदगी को एंजॉय कर रहे होते हैं. वह पढ़ाई-लिखाई और एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के साथ ही करियर की शुरुआती सीढ़ियों पर कदम कर रहे होते हैं. लेकिन इस उम्र तक भाग्यश्री भंसाली जैन ठान चुकी थीं कि उन्हें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और उसकी रीसाइक्लिंग पर फोकस करना है. बीबीए करने से उन्हें इस दिशा में बेहतर अप्रोच मिली.
पब्लिक ग्रीवांस मॉनिटरिंग सिस्टम (PGMS) पर काम करते हुए भाग्यश्री ने इंसानों पर कचरे के दुष्प्रभाव पर गहन रिसर्च की. इस अनुभव ने उन्हें सिखाया कि लोगों को समस्याओं की शिकायत करते रहने के बजाय समाधान पर भी काम करना चाहिए. मां को कैंसर से लड़ते हुए देखकर उन्होंने प्लास्टिक पॉल्यूशन के खिलाफ अपनी लड़ाई को निजी संघर्ष बना लिया था.
सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”