अक्टूबर 12 2023 ! रात दिल्ली से कामाख्या जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की 21 बोगियां डिरेल हो गई. बताया जा रहा है कि 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस बिहार के बक्सर के रघुनाथपुर स्टेशन पार कर रही थी तभी एक जोरदार झटके के साथ इंजन के साथ उसके पीछे की बोगियां धड़ाधड़ बेपटरी हो गई. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हैं. बिहार में 42 साल पहले एक रेल हादसा हुआ था जिसे याद कर आज भी दिल दहल जाता है. वह रेल हादसा कोई मामूली रेल हादसा नहीं था.इसे भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा कहा जाता है. हादसे में सरकारी आकंडों के मुताबिक 300 लोगों की मौत हुई थी जबकि स्थानीय लोगों की मुताबिक मौत की गिनती 100 में नहीं हजार में थी.
वह काला दिन था 6 जून 1981.ट्रेन खगड़िया जिले के मानसी स्टेशन से खुलकर सहरसा के लिए रवाना हुई. तब खगड़िया और सहरसा के बदला, धमारा, कोपड़िया सिमरी बख्तियारपुर और सहरसा के बीच संपर्क का सबसे बडा साधन ट्रेन हुआ करता था.यही वजह थी कि पैसेंजर ट्रेन खचाखच भरा था. जितनी लोग सीटों पर बैठे थे उससे ज्यादा लोग खड़े थे.
मानसी से खुलने के बाद ट्रेन बदला घाट पर रुक कर धमारा के लिए रवाना हुआ.यात्री अपनी दुनिया में थे.कोई मुंगफली खा रहा था तो कोई उपन्यास पढ़ रहा था.रोते बच्चों को उनकी माएं चुप करा रही थी. तो खेती बाड़ी शादी विवाह,परिवार पर लोग बातचीत कर सफर की दूरी कम कर रहे थे. इस दौरान जो लोग खड़े थे वह अगले स्टेशन पर सीट की उम्मीद को लेकर इधर उधर नजर दौड़ा रहे थे.तभी तेज बारिश होने लगी. इसके बाद सभी ने धड़ा-धड़ खिड़कियां बंद करनी शुरू कर दी. इस दौरान ट्रेन पुल नंबर 51 को पार कर रही थी.अचानक ड्राइवर ने ब्रेक लगाया और ट्रेन की नौ में से सात बोगियां फिसलकर पुल को तोड़ते हुए उफनती बागमती नदी में गिर गई.
इसके बाद चीख पुकार मच गई. जो तैरना जानते थे वह डिब्बे के पानी में समाने से पहले किसी तरह बाहर निकल कर अपनी जान बचा ली. लेकिन ट्रेन में सवार ज्यादातर लोग इतने भाग्यशाली नहीं थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 300 लोगों की मौत हुई. जबकि तब स्थानीय लोगों ने कहा था कि 15 सौ से 2 हजार लोगों की जान गई. यहां कई सप्ताह तक बागमती नदी से शव बरामद हुआ थाे.
इस हादसे में सिमरी बख्तियारपुर के एक परिवार के 11 लोगों की मौत हो गई. सिमरी बख्तियारपुर के मियांचक के रहने वाले जमील उद्दीन अशरफ का परिवार एक शादी से लौट रहा था. सभी सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन आने का इंतजार कर रहे थे. घर पहुंचते इससे पहले सभी काल के गाल में समा गए.जमील उद्दीन अशरफ परिवार से इकलौते बचे. उनकी भी हादसे के कुछ दिन बाद मौत हो गई. इस तरह यह पूरा परिवार समाप्त हो गया.
मानसी सहरसा रेलखंड पर हुए इस हादसे के 42 साल बीत गए हैं. लेकिन अबतक यह पता नहीं चल पाया है कि हादसे की वजह क्या थी? कहा जाताहै कि ट्रेन के सामने एक भैंस आ गई इस वजह से ड्राइवर ने ब्रेक लगाई और ट्रेन जोरदार झटके के साथ नदी में गिर गया. वहीं ये भी कहा जाता है कि जब हादसा हुआ तब तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी. बारिश की वजह से यात्रियों ने सभी खिड़कियां बंद कर दी. इससे तूफानी हवा क्रॉस करने के सभी रास्ते बंद हो गए तब दबाव की वजह से ट्रेन पलट गई.
सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष “