• May 4, 2024 9:25 am

पतली हवा से असीमित बिजली पैदा करेगा एक एनजाइम

14 अप्रैल 2023 |  इस समय पूरी दुनिया में सबसे बड़ी समस्या ऊर्जा की है. जीवाश्म ऊर्जा समस्या कारक और पर्यावरण के लिए है लेकिन सुविधाजनक लगभग सभी उपकरण गाड़ियों से लेकर जनरेटर और बिजली संयंत्र तक उनके अनुकूल हैं. ऐसे में सौर ऊर्जा की सस्ती और बहुतायत उपलब्धता होने के बाद भी उसका उपयोग अनुकूल और व्यापक होने में बहुत सारी समस्याएं हैं. अब अक्षय ऊर्जा के अनुकूल उपयोग के लिए बहुत अधिक शोध हो रहे हैं. अब संधारणीय ऊर्जा विकास में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली खोज सामने आई है जिसमें शोधकर्ताओं ने पतली हवा से ही अनंत ऊर्जा उत्पादन करने का तरीका पता लगाया है.

खास एन्जाइम पैदा करने वाला बैक्टीरिया
मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने एक हाइड्रोजन का अवशोषण करने वाले एंजाइम की खोज की है जो सामान्य मिट्टी के बैक्टीरिया से बनता है जो वायुमंडल को ही ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग कर बिजली पैदा करता है. इस अध्ययन को मोनाश के डॉ रीस ग्रिंटर, पीएचडी छात्र एशलेग क्रॉप, और बायोमेडिसीन डिसकवरी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर क्रिस ग्रीनिंग की अगुआई में किया गया है.

कठोर हालात में भी
शोध के नतीजे नेचर जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. हक (Huc) नाम का यह एन्जाइम मायकोबैक्टीरियम स्मेग्मा टिस बैक्टीरिया से बनता है जिससे वह कठोर हालात में जीवित रह सके. ग्रिंटर बताते हैं, “हम कुछ समय पहले से जानते हैं कि बैक्टीरिया को हवा में से हाइड्रोजन खोजने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है जिससे हाइड्रोजन के स्रोत का पता चल सके. हाइड्रोजन ऐसे बैक्टीरिया को पनपने के लिए मददगार होती है.

ज्वालामुखी से लेकर गहरे समुद्र में
इतना ही नहीं हाइड्रोजन के अन्य स्रोतों, अंटार्कटिका की मिट्टी, ज्वालामुखी के मुहाने और गहरे महासागरों जैसे कठोर वातवारण में मौजूद हों उनका भी पता लगाया जा सकता है. हक एक हाइड्रोजन गैस स्कैवेंजर की तरह काम करता है यानि असंभव लगने वाली जगहों से भी यह हाइड्रोजन निकाल कर ला सकता है.

कैसे बन सका हक
शोधकर्ताओं ने बताया कि एम स्मेगमैटिस से हक को अलग करने के लिए उन्हें कई पद्धतियों की शृंखला बनानी पड़ी जिसमें बैक्टीरिया को शुरू से विकसित  करना पड़ा और बात में उसे तोड़ कर एकल हिस्सा निकलना पड़ा. हक को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है और उससे उसकी बिजली पैदा करने की क्षमता पर भी असर नहीं होता है.

कैसे होगा उपयोग
प्रयोग के दौरान -80 डिग्री सेल्सियस के तरल नाइट्रोजन में हक खुद को कायम रखे हुए था. शुरुआती अनुप्रयोगो में हक को छोटे हवा की शक्ति वाले उपकरणो में उपयोग किया जाएगा जो कि वैकल्पिक सौर चलित उपकरणों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होगा. इसके बाद इसके उत्पादन की बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे जो की काफी कुछ संभव है.

ग्रिंटर का कहना है कि एक बार हक का सही मात्रा में उत्पादन हो जाए, स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में आकाश ही सीमा होगी. हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में उत्पादन फिलाहल बहुत ही खर्चीला है. इसके अलावा इसका भंडारण भी एक चुनौती है.  हां पानी से हाइड्रोजन बनाने की प्रयास चल रहे हैं, क्योंकि उसके लिए स्रोत की कमी नहीं है, लेकिन बाकी चुनौतियां वहीं हैं. लेकिन हक इन सभी समस्याओं से निजात दिला सकता है.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”   

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