11 जून 2022 | जयपुर नगरी में हुनर की कोई कमी नहीं है। यहां की तो मिट्टी में ही कला घुली हुई है। एसी ही एक खूबसूरत कला के हुनरबाज हैं जयपुर के शंकर गर्ग। हाल ही में हुए महावीर इंटरनेशनल एसोसिएशन के प्रोग्राम फिल्मी गीतों के महाकुंभ में शंकर गर्ग ने मुंह से कई तरह के घुंघरुओं की आवाज निकाल कर सभी का दिल जीत लिया। दैनिक भास्कर से बातचीत में शंकर बतातें है ये हुनर गॉड गिफ्टेड है। इसके लिए उन्होंने कभी कोई ट्रेनिंग नहीं ली। यहां तक कि उन्हें तो सूर और ताल का भी पूरा ज्ञान नहीं था। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि कहां से शुरू हुई घुंघरू की आवाज की कहानी?
शंकर बताते हैं, मैं जब 15 साल का था तब अजमेर कव्वाली के दौरान घुंघरू बजाते कलाकारों को देखा था। घुंघरू की आवाज उन्हें हमेशा अट्रैक्ट करती थी। मुंह से ऐसी आवाज निकालने का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। कई मशहूर कव्वालों के शो देखे। एक बार एक बदनाम कव्वाल का शो खत्म होने के बाद मैं उनसे मिला। मैंने कहा कि ऐसे घुंघरू तो मैं मुंह से ही बजा सकता हूं। तब उन्होंने मुझे पहली बार स्टेज पर अपने साथ परफॉर्म करने को कहा। मेरे हुनर को देखते ही उनका का कहना था की ये बहुत आगे जाएगा।
किसी बड़े मंच पर पहले क्यों परफॉर्म नहीं किया?
मैं 6 बहनों में अकेला भाई था तो जिम्मेदारियों के चलते कभी इस हुनर को जीने का मौका नहीं मिला। इसलिए घर, यार दोस्तों की शादी में परफॉर्म कर लिया करता था। लेकिन अब उम्र के इस पड़ाव में अपने सपने जी रहा हूं। जयपुर के लोग मेरे हुनर को इतना सम्मान दे रहे हैं। अब तक करीब 100 से भी ज्यादा परफॉर्मेंस दे चुका हुं।
घुंघरू ही क्यों?
मैं संगीत का बहुत बड़ा प्रेमी हुं। लेकिन घुंघरू की आवाज मेरे अंदर से आती हैं। मैं कभी किसी के पास सीखने नहीं गया। ये अपने आप ही है कि मैं अलग-अलग तरह के घुंघरू की आवाज निकाल सकता हूं। शायद भगवान का आशीर्वाद है।
पहली बार कब पता चला अपने इस हुनर के बारे में ?
मैंने जब बदनाम कव्वाल को सुना तो घर आकर पता नहीं क्यों घुंघरू की आवाज निकाल कर धून गाने की कोशिश की। मुझे ऐसा लगा कि मैं ये बहुत बेहतरीन तरीके से निकाल सकता हूं। उसके बाद धुन लगी तो मैंने 6 महीने तक लगातार अलग-अलग घुंघरू की आवाज निकालने की प्रैक्टिस की। जब वो बदनाम कव्वाल वापस एक साल बाद आए। मैंने उन्हें घुंघरू की आवाज सुनाई। कुछ देर तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। यहीं से मेरी घुंघरू के साथ जर्नी शुरू हो गई।
इस हुनर के लिए रियाज कैसे करते हैं?
सालों की मेहनत से अब रियाज की इतनी जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन उम्र के साथ सांस रोकने की क्षमता में कमी आ गई है। लेकिन आज भी लाइव बैंड के साथ मैं 80 तरह के घुंघरू बजा सकता हूं। क्योंकि इसमें सांस छोड़ने का थोड़ा टाइम मिल जाता है। लेकिन क्राउड प्रोग्राम में रेस्ट लेते हुए मैं आधा घंटा लाइव शो कर सकता हूं।
कुछ परहेज भी करना पड़ता है?
ठंडी चीजों का परहेज करना पड़ता है। साथ ही परफॉर्मेंस से पहले हमेशा मिश्री और लोंग का सेवन करता हूं। जिससे मेरा गला साफ रहता है। मेरी आवाज क्लियर हो जाती है।
अब भविष्य में हुनर किसे सिखा रहे हैं?
ये हुनर मैं मेरे 7 साल के पोते को भी सिखा रहा हुं। मैं करीब 80 से भी ज्यादा तरह के घुंघरू की आवाज निकाल सकता हूं।
सोर्स;- ‘’दैनिकभास्कर’’