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अज़रबैजान ने एक सेकेंड के लिए भी युद्धविराम को नहीं मानाः आर्मीनिया

ByPrompt Times

Oct 16, 2020
अज़रबैजान ने एक सेकेंड के लिए भी युद्धविराम को नहीं मानाः आर्मीनिया

पाशिन्यान ने अज़रबैजान पर युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा, “अज़रबैजान ने एक सेकेंड के लिए भी युद्धविराम को नहीं माना और वो अब तक वहां हमला कर रहा है. इसका मतलब ये हुआ कि अज़रबैजान पूरे इलाके पर कब्जा करने की (शुरू से ही घोषित कर रखी) अपनी नीति पर अमल कर रहा है.”

नार्गोनो-काराबाख़ क्षेत्र में अज़रबैजान से हुए नुकसान के बारे में पाशिन्यान ने कहा कि वो अपने वीरों के शहीद होने पर शोक व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण गंवाए.

उन्होंने कहा कि इस संबोधन का मुख्य उद्देश्य हमारी रणनीति और हम क्या कर रहे हैं इस पर बात करना और हम जो कर रहे हैं उस पर राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करना है. इसलिए, हमें यह रिकॉर्ड करने की ज़रूरत है कि तुर्की-अज़रबैजान गठबंधन नार्गोनो-काराबाख़ और इस बहाने आर्मीनिया पर अपने हमले को नहीं रोकेगा.

उधर, अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीव ने आर्मीनिया पर अपने देश की गैस पाइप लाइनों पर हमला करने की कोशिश का आरोप लगाया और साथ ही “गंभीर प्रतिक्रिया” की चेतावनी दी.

जंग काराबाख़ से बढ़कर पूरे मुल्क में फैल सकती है

बीबीसी संवाददाता जूरी वेंडिक के मुताबिक़, आर्मीनिया में एक टारगेट पर अज़रबैजान ने मिसाइल से जो हमला किया वो नार्गोनो-काराबाख़ के युद्ध में एक अहम और महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है. यह पहली बार है जब आर्मीनिया में नार्गोनो-काराबाख़ से बाहर कोई हमला किया गया है और दोनों देशों ने इस तथ्य की पुष्टि भी की है.

अज़रबैजान ने सीमा पर अपने एक शहर को निशाना बनाते हुए तैनात किए गए रॉकेट लॉन्चर को नष्ट करने का दावा किया है. आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रेस सचिव शुशैन स्टीफेनयान ने बताया कि यह एक अनुमान था और अब तक आर्मीनिया ने अपने इलाके से अज़रबैजान में कोई गोलीबारी नहीं की है.

युद्ध की शुरुआत में, आर्मीनिया ने अपने सीमावर्ती शहर वार्डेनिस पर हवाई हमले की बात कही थी और कहा था कि उस दौरान तुर्की के फाइटर प्लेन ने आर्मीनिया के एक फाइटर प्लेन को मार गिराया था. हालांकि उसने इसके पुख्ता सबूत नहीं दिए थे. दूसरी तरफ, अज़रबैजान ने दावा किया कि अर्मीनिया उसके शहरों पर अपनी सीमा से रॉकेट दाग रहा है, लेकिन लोगों को अब तक इसके सबूत देखने को नहीं मिले हैं.

अब आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रेस सचिव शुशैन स्टीफेनयान ने घोषणा की है कि आर्मीनिया दुश्मन के इलाके में सेना के ठिकानों पर हमला करने का अधिकार रखता है. अज़रबैजान ने भी ठीक यही बयान दिया. अब अगर सीमा पर झड़पें जारी रहती हैं तो इसका मतलब होगा कि यह युद्ध काराबाख़ से आगे बढ़ कर आर्मीनिया और अज़रबैजान की पूरी सीमा पर फ़ैल गया है.

इसके अलावा, सैद्धांतिक रूप से यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है. आर्मीनिया रूस के साथ सीएसटीओ सैन्य गठबंधन का एक सदस्य है. यानी इसके इलाके पर हमले की पुष्टि होने पर रूस अपने सहयोगी के पक्ष में इस युद्ध में हस्तक्षेप कर सकता है. हालांकि अब तक रूस दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने के लिहाज से मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश करता रहा है.

अठारहवें दिन भी जंग जारी है

नागोर्नो-काराबाख के इलाके के लिए अज़रबैजान और आर्मीनिया के बीच पिछले दो हफ़्ते से चली आ रही लड़ाई अभी तक रुकी नहीं है.

रूस की ओर से मध्यस्थता की कोशिशों के बावजूद दोनों देश 1990 के दशक से इस क्षेत्र के नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं और हाल के हफ्तों में ये संघर्ष तेज हो गया है.

बुधवार को इस लड़ाई का 18वां दिन है.

अज़रबैजान का कहना है कि नागोर्नो-काराबाख को अजरबैजान के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है.

वहीं, दूसरी ओर आर्मीनिया का कहना है कि नोगोर्नो कराबाख ऐतिहासिक रूप से आर्मेनियाई लोगों का घर रहा है और सदियों से आर्मेनिया का हिस्सा रहा है.

नागोर्नों काराबाख़ में चल रही लड़ाई में 300 से ज़्यादा लोग जानें गंवा चुके हैं.

नागोर्नो-काराबाख़ दशकों से पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच तनाव का कारण बना हुआ है.

नार्गोन-काराबाख पर हो रही लड़ाई को लेकर शनिवार को अज़रबैजान और आर्मीनिया के बीच रूस की मध्यस्थता में युद्ध विराम के समझौते की घोषणा हुई थी.

हालाँकि ये समझौता एक भी दिन ठीक से बरक़रार नहीं रखा जा सका.

नार्गोनो-काराबाख क्षेत्र के विदेश मंत्रालय से जब बीबीसी संवाददाता ने पूछा कि क्या नए सिरे से गोलीबारी का मतलब है कि शांति समझौता पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है और फिर से दोनों देशों में जंग शुरू हो गई है?

इस पर विदेश मंत्रालय का जवाब था, “यह कहना मुश्किल है लेकिन कम से कम यह जरूर साफ है कि जो हो रहा है वो युद्धविराम को लेकर हुई संधि का पालन तो कतई नहीं है. हम देखेंगे कि इस बारे वो क्या करते हैं.”

मिसाइल स्ट्राइक से बदल सकता है भविष्य

मंगलवार रात आर्मीनिया में अज़रबैजान की ओर से दागी गई मिसाइल स्ट्राइक इस संघर्ष को एक नया मोड़ दे सकती है.

यह पहली बार है जब अज़रबैजान ने ग़ैर मान्यता प्राप्त नार्गोनो-कराबाख से बाहर हमले की बात कबूली है.

अज़रबैजान ने दावा किया है कि उसने अपनी सीमा के पास तैनात एक मिसाइल लॉन्चर नष्ट किया है, जिसका टारगेट अज़रबैजान का एक शहर था.

हालाँकि आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने इससे इनकार किया है.

आर्मीनियाई रक्षा मंत्रालय के प्रेस सचिव ने कहा कि यह सिर्फ़ एक अनुमान था और आर्मीनिया ने अब तक अज़रबैजान के क्षेत्र में गोलीबारी नहीं की है.

रूस करेगा हस्तक्षेप?

इस मिसाइल स्ट्राइक के अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं.

अज़रबैजान के उलट आर्मीनिया रूस के साथ सीएसीटीओ (कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन) का सदस्य है. यानी आर्मीना पर हमला रूस की ओर से संघर्ष में हस्तक्षेप का कारण बन सकता है.

अब तक रूस ने युद्धरत देशों के बीच संतुलन बनाने और मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की है.

फ़िलहाल दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामकता के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. शनिवार को हुए समझौते में दोनों पक्ष क़ैदियों और शवों की अदला-बदली पर सहमत हुए थे लेकिन यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है.

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दोनों पक्षों से युद्धविराम का पालन करने की अपील की है. दूसरी ओर तुर्की खुलकर अज़रबैजान का समर्थन कर रहा है.

युद्ध और हिंसा के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात को लेकर चिंतित है कि इस दौरान युद्धग्रस्त इलाकों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका कई गुना ज़्यादा बढ़ गई है.

आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध में भारत किसकी ओर है?



















BBC

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