जब देश की राजधानी दिल्ली और कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण के नए मामलों में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं तभी कर्नाटक और तेलंगाना में संक्रमण के नए मामलों में बढ़त दिख रही है.
बीते कुछ दिनों में, इन दोनों राज्यों के शहरों बेंगलुरु और हैदराबाद में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं.
पिछले कुछ दिनों में, बेंगलुरु में प्रतिदिन सामने आने वाले संक्रमण के नए मामले मुंबई से ज़्यादा हो गए हैं.
मुंबई में संक्रमण के 1337 नए मामले आए थे और बेंगलुरु में 1533 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित होकर मरने वालों की संख्या के लिहाज़ से मुंबई आगे है क्योंकि मुंबई में 73 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, बेंगलुरु में 23 लोगों की मौत हुई.
हैदराबाद में बिगड़ती स्थिति
हैदराबाद में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हैदराबाद में 736 नए मामले सामने आए तो वहीं 9 लोगों की मौत हुई.
दक्षिण भारत में कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा असर तमिलनाडु पर पड़ा है जहां 3671 नए मामले सामने आए और 69 लोगों की मौत हुई.
ये तब हो रहा है जब तमिलनाडु में संक्रमित मामलों की संख्या 17 दिनों में दोगुनी हो रही है.
इस लिहाज़ से कर्नाटक और तेलंगाना का हाल भी कुछ अलग नहीं है. कर्नाटक में संक्रमित लोगों की संख्या हर 9 दिन में दोगुनी हो रही है. तेलंगाना में यही संख्या 10 दिनों में दोगुनी हो रही है.
आंध्र प्रदेश में संक्रमित लोगों की संख्या 13 दिन और केरल में 18 दिन में दोगुनी हो रही है.
बेंगलुरु और हैदराबाद पर विशेषज्ञ परेशान
बेंगलुरु और हैदराबाद में संक्रमण के मामलों में बढ़त ने विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, आने वाले कुछ हफ़्तों में इन दोनों राज्यों में संक्रमण अपने चरम बिंदु पर पहुंच जाएगा.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया से जुड़े संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. गिरधर बाबू कहते हैं, “मैं हैदराबाद को लेकर चिंतित हूँ क्योंकि वहां पर्याप्त जांच नहीं हो रही है. अगर आप पर्याप्त लोगों की जांच नहीं करेंगे तो संक्रमण के कई मामले आपके हाथ से निकल जाएंगे. हैदराबाद इस समय बेहद कठिन परिस्थिति में है. बेंगलुरु में सघन आबादी वाले क्षेत्र में, कोरोना वायरस स्थानीय स्तर पर फैल रहा है.”
बाबू के मुताबिक, “अगर आप सक्रियता से संक्रमित लोगों की तलाश नहीं करेंगे तो आख़िरकार आपको अपने अस्पतालों में उन्हें जगह देनी होगी जो कि गंभीर स्थिति में काफ़ी देर करने के बाद आपके सामने आएंगे. जब राज्य सक्रियता दिखाता है तो मरने वालों की संख्या कम होती है. लेकिन जब आप लोगों के अस्पताल आने का इंतज़ार करते हैं तो तब तक काफ़ी लोग पहले ही मर चुके होंगे.”
लॉकडाउन लगाना एक विकल्प
हैदराबाद में अपोलो अस्पताल की कोविड-19 यूनिट की प्रमुख और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता नारेड्डी डॉ. बाबू की बात से संतुष्ट नज़र आती हैं.
वह कहती हैं, “हम लगातार बिस्तरों की संख्या बढ़ा रहे हैं लेकिन ये काफ़ी नहीं है. अगर हम लोगों की टेस्टिंग नहीं करेंगे तो उन्हें ये मालूम नहीं चलेगा कि वो संक्रमित हैं. तेलंगाना में एक लाइव एक्सपेरिमेंट चल रहा है कि कोरोना वायरस के मामले में लॉकडाउन काम करता है या नहीं.”
महामारी विशेषज्ञों के बीच लॉकडाउन को लेकर एक राय है कि किसी भी शहर में लॉकडाउन जितनी सख़्ती से लागू किया जाता है, उस शहर को संक्रमण के चरम बिंदु तक पहुंचने में उतना ही वक़्त मिल जाता है.
विशेषज्ञ कर्नाटक का उदाहरण देते हैं जहां लॉकडाउन का सख़्ती से पालन किया गया था.
लेकिन ये अलग बात है कि जब लॉकडाउन हटाया गया तो पड़ोसी राज्यों से लोग इतनी बड़ी संख्या में कर्नाटक, ख़ासतौर पर बेंगलुरु आये कि स्वास्थ्य तंत्र इस दबाव को झेल ही नहीं पाया.
इस वजह से कर्नाटक में संक्रमण के मामलों की संख्या में हर रोज़ बढ़ोतरी दिख रही है. इन सारे संक्रमित लोगों में से 50 फीसद से ज़्यादा बेंगलुरु में हैं. इसके बाद भी यहां संक्रमण का स्तर दिल्ली, मुंबई या चेन्नई जैसा नहीं है.
तमिलनाडु से सबक
डॉ. बाबू इंगित करते हैं कि तमिलनाडु से एक सबक सीखने की ज़रूरत है.
तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जिसने लॉकडाउन को एक बार फिर लागू कर दिया है.
यही नहीं, तमिलनाडु ने जब ये देखा कि स्थिति नियंत्रण के बाहर जा रही है तो प्रदेश सरकार ने पहले से ज़्यादा सख़्ती से लॉकडाउन को लागू कर दिया.
बाबू कहते हैं, “स्वास्थ्य तंत्र अपनी रणनीतियों में बदलाव करके स्वास्थ्य क्षमताओं पर एकदम भार डालने की जगह उन लोगों को तरजीह दे सकता है जिन्हें इलाज की बेहद ज़रूरत है.”
काफ़ी नहीं सरकारी प्रयास
विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि कोरोना वायरस ने मानवता के सामने जो चुनौती पेश की है, उसका सामना करने के लिए सरकारी प्रयास काफ़ी नहीं हैं. आम लोगों को विशेषज्ञों द्वारा बताए गई सावधानियां बरतनी पड़ेंगी.
विशेषज्ञों ने अपनी इस सलाह के पीछे की वजह भी बताई है.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, ये सलाह इसलिए दी जा रही है क्योंकि ये वायरस ख़त्म होने की जगह सुसुप्त अवस्था में चला जाएगा.
वेल्लोर में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे प्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. जयप्रकाश मुलयिल मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती का ज़िक्र करते हैं.
धारावी का उदाहरण
डॉ. जयप्रकाश मुलियाली कहते हैं, “धारावी जैसे छोटे इलाके को देखना आसान है. वहां पर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए काफ़ी काम किया गया. उन्होंने अच्छा काम किया है. लेकिन केस आना जारी रहे. पांच हफ़्ते पहले एंटी-बॉडी की तलाश के लिए एक सर्वे किया गया था. इसमें संक्रमण के पुराने मामले सामने आए और पता चला कि वहां रहने वाले लोगों में से 36 फीसदी लोग संक्रमित थे. ये काफ़ी बड़ी संख्या है.”
मुलियाली आगे बताते हैं, “मामलों की बड़ी संख्या अब सिर्फ प्रतिदिन एक या दो मामलों पर सिमट गई है. लेकिन वायरस अभी भी गायब नहीं हुआ है. वायरस के संक्रमण का स्तर काफ़ी कम हो गया है. मेरा मानना है कि ये बताता है कि शुरुआती स्तर पर हर्ड इम्युनिटी कैसे काम करती है. ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि ये हर रेड क्लस्टर ग्रीन क्लस्टर में कैसे तब्दील होता है.”
डॉ बाबू धारावी में संक्रमण के एक अन्य पहलू की ओर ध्यान दिलाते हैं.
वह कहते हैं, “धारावी से मुंबई के उन इलाकों तक कोरोना वायरस फैला जहां पहले संक्रमण के मामले नहीं थे. अब यही बेंगलुरु में हो रहा है. ये एक ज़ोन में एक वॉर्ड से होता हुआ दूसरे वॉर्ड्स में फैल रहा है.”
उनके मुताबिक, “हर शहर में इस तरह मामलों में बढ़त देखने को मिलेगी. मरने वालों की संख्या के लिहाज़ से देखें तो हर शहर में एक ही पैटर्न नहीं दिखेगा. ये संक्रमण की लहर चलती रहेगी. हमें रह रहकर लॉकडाउन लगाना होगा और ज़िंदगियां बचाना एक न्यू नॉर्मल बनाना होगा. क्योंकि इसकी कोई दवा या वैक्सीन नहीं हैं.”
इसी बीच कर्नाटक और तेलंगाना ने रविवार से एंटीजन टेस्टिंग करने का ऐलान कर दिया है. एंटीजन टेस्ट के नतीजे 30 मिनट में आ जाते हैं. वहीं, आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे आने में 8 घंटों का समय लगता है.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के सलाहकार अशोक टंकासला ने बीबीसी हिंदी को बताया है, “हमने शुक्रवार से दस हज़ार टेस्ट करने शुरू किए हैं और आने वाले दिनों में ये संख्या आगे बढ़ सकती है. कई लोग नहीं जानते हैं कि हमने जो रैपिड टेस्टिंग इक्युपमेंट मंगवाया था, उसे केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को दे दिया. अब ये किट्स आ गई हैं तो अब टेस्टिंग नंबर बढ़ जाएंगे.”
BBC