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नक्सली आतंक पर भारी पड़ रहा बस्तर का सौंदर्य, विदेश से भी पहुंचे पर्यटक

31  दिसंबर 2022 |  बस्तर का नैसर्गिक सौंदर्य इन दिनों नक्सली आतंक पर भारी पड़ रहा है। बस्तर के सघन वन, झरने, गुफाएं आदि की चर्चा विश्वभर में होती है परंतु नक्सल घटनाओं की वजह से इसकी छवि पर असर पड़ता रहा। पुलिस अब नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में सफल हुई है और इसके साथ ही बस्तर पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बन गया है। बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में इन दिनों पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही है। नए वर्ष का जश्न मनाने के लिए पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली सहित देश के विभिन्न् राज्यों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर सैलानी यहां पहुंच रहे हैं। कुछ विदेशी पर्यटक भी पहुंचे हुए हैं। होटल व रिसोर्ट में कमरे नहीं मिल रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित घरों में होम स्टे की सुविधा भी उपलब्ध करा रखी है।

यह स्थल हैं आकर्षण के केंद्र

जगदलपुर के निकट चित्रकोट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा कहा जाता है। यहां इंद्रावती नदी 90 फीट ऊंचा जलप्रपात बनाती है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित प्राकृतिक कोटमसर व दंडक गुफाओं में प्रकृति की कारीगरी पर्यटकों का मन मोह रही है। यहीं तीरथगढ़ जलप्रपात भी है। अबूझमाड़ का हांदावाड़ा जलप्रपात भी इंद्रावती पर पुल बनने के बाद पहुंच में आ गया है। नक्सली यहां से पीछे हटने को मजबूर हुए हैं। केशकाल की फूलों की घाटी, टाटामारी हिल स्टेशन, बारसूर का पुरातात्विक वैभव, दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी का प्राचीन मंदिर आदि अनेक ऐसे स्थल हैं जहां भीड़ उमड़ रही है।

नक्सलवाद का भ्रम टूटा

कोलकाता से पहुंचे पर्यटक सुमन पाल ने बताया कि वह पहली बार बस्तर आए हैं। नक्सल घटनाओं की चर्चा सुनते रहे थे इसलिए मन आशंकित था किंतु यहां आकर लोगों से मिलते ही भ्रम टूट गया। यहां शांत व प्रदूषणरहित वातावरण में प्रकृति का सौंदर्य निहारने का अनुभव अद्भुत है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से आए टी. वेंकट ने बताया वे अरकू होते हुए यहां पहुंचे हैं। चित्रकोट स्थित रिसार्ट में रुके हैं। तीरथगढ़ और कोटमसर गुफा देखने के बाद हांदावाड़ा जलप्रपात की चर्चा सुनी है। वहां भी जाएंगे।

पोलैंड से आए इरिक जैकब ने बताया इंटरनेट मीडिया पर इंडियन नियाग्रा चित्रकोट जलप्रपात और बस्तर के आदिवासियों की अनूठी संस्कृति के बारे में पढ़कर यहां पहुंचे हैं। यहां छत्त्तीसगढ़ सरकार के सी-मार्ट में जनजातीय कलाकारों की कलाकृतियों को देखा। चित्रकोट देख बहुत खुश हुए। कोलकाता की पृथा दास चित्रकोट के तीरथा स्थित होम स्टे में रुकी हुई हैं। इन दिनों वे लंदन में रहती हैं। अपने पति के साथ यहां आई हुई हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर के आदिवासियों का देशी भोजन चापड़ा की चटनी, लांदा, माड़िया पेज, सल्फी का स्वाद चखना अनूठा अहसास था।

अब तक लाखों पर्यटक पहुंचे बस्तर

यहां आने वाले पर्यटकों की वास्तविक संख्या की गणना की कोई व्यवस्था नहीं है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बैरियर में ही पर्यटकों का आधिकारिक लेखा-जोखा रखा जाता है। इसके अनुसार 30 नवंबर 2022 तक 1,18,862 पर्यटक बस्तर पहुंचे हैं। राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक गणवीर धम्मशील के अनुसार दिसंबर माह के आंकड़े अभी आए नहीं हैं पर इस वर्ष पर्यटकों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो सकती है।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों की संख्या

वर्ष, कुल सैलानी, विदेशी

2017, 125668, 85

2018, 127683, 80

2019, 141499, 148

2020, 50606, 11

2021, 92288, 03

2021(नवंबर तक), 118862, 31

सोर्स :-“नईदुनिया”     

 

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