अक्टूबर 28 2023 ! किशनगढ़ बास सीट राजनीतिक सियासी तौर पर बेहद अहम सीट मानी जाती है. पहले इस क्षेत्र को खैरथल विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद यह किशनगढ़ बास विधानसभा सीट हो गई. यह क्षेत्र सरसों की खैरतल मंडी के लिए भी जाना जाता है. 2018 के चुनाव में किशनगढ़ बास सीट के चुनावी परिणामों को देखा जाए तो यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था.
बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद खेरिया को 73,799 वोट मिले तो भारतीय जनता पार्टी के रहमत सिंह यादव के खाते में 63,883 वोट आए. कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई थी और उसे 39,033 वोट मिले थे. कड़े संघर्ष के बाद बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद को 9,916 (5.6%) मतों के अंतर से जीत मिली.
राजस्थान के मेवात क्षेत्र में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. 25 नवंबर को होने वाली वोटिंग को लेकर अलवर जिले में चुनावी अभियान शुरू हो चुका है. जिले के तहत 11 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 7 पर कांग्रेस को जीत मिली तो 2 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में जीत गई. किशनगढ़ बास सीट पर 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली थी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में चले गए जिससे यह सीट भी कांग्रेस के पास चली गई. किशनगढ़ बास सीट के लिए बीजेपी और कांग्रेस में से किसी ने अभी अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं.
किशनगढ़ बास सीट राजनीतिक सियासी तौर पर बेहद अहम सीट मानी जाती है. पहले इस क्षेत्र को खैरथल विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद यह किशनगढ़ बास विधानसभा सीट हो गई. यह क्षेत्र सरसों की खैरतल मंडी के लिए भी जाना जाता है. 2018 के चुनाव में किशनगढ़ बास सीट के चुनावी परिणामों को देखा जाए तो यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था.
बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद खेरिया को 73,799 वोट मिले तो भारतीय जनता पार्टी के रहमत सिंह यादव के खाते में 63,883 वोट आए. कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई थी और उसे 39,033 वोट मिले थे. कड़े संघर्ष के बाद बहुजन समाज पार्टी के दीपचंद को 9,916 (5.6%) मतों के अंतर से जीत मिली.
सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष “