• May 5, 2024 9:47 am

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन: राजस्थान को चौथी बार मिली मेजबानी, यह रहेगा कार्यक्रम

03  दिसंबर 2022 |  अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों (All India Presiding Officers conference) का 83वां सम्मेलन अगले साल 9 से 11 जनवरी को जयपुर (Jaipur)  में होने जा रहा है. आजादी के बाद यह चौथा मौका होगा, जब अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन का आयोजन राजस्थान (Rajasthan) में होने जा रहा है. इस सम्मलेन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला करेंगे और इस दौरान राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश भी मौजूद रहेंगे.

सम्मेलन के पहले दिन विधान मण्डलों के सचिवों का सम्मेलन होगा. इस सम्मेलन में विधानमंडलों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत सचिव भाग लेंगे. 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन 9 जनवरी 2023 को शुरू होगा. इस आयोजन की तैयारियों के सिलसिले में राजस्थान विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल शिमला में जाकर आया था, जहां पर पहला और पिछला सम्मेलन आयोजित हुआ था. प्रतिनिधिमंडल ने वहां आयोजन की तैयारियों को समझा.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहेंगे
इस सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विधानसभा भवन स्थित सदन में किया जाएगा. मिली जानकारी के मुताबिक सम्मेलन के पहले दिन 09 जनवरी को विधानमंडलों के सचिवों का सम्मेलन होगा. दूसरे दिन यानि 10 जनवरी को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन का विधिवत रूप से उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला करेंगें. इस सत्र में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी मौजूद रहेंगे.

राजस्थान को चौथी बार मिली मेजबानी
सम्मेलन में प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी आमंत्रित किए जाएंगे. 10 जनवरी को दो से तीन सत्र विभिन्न विषयों से सम्बन्धित होंगे, जो कि आने वाले दिनों में तय किए जाएंगे. अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का प्रथम सम्‍मेलन का आयोजन 1921 में शिमला में किया गया था. तब से लेकर अब तक 82 सम्मेलन हो चुके हैं. राजस्थान ने 1957 में पहली बार सम्मेलन की मेजबानी की थी. इसके बाद 1978, 2011में और अब 2023 में राजस्थान में आयोजन किया जा रहा है. पिछली बार 82वां सत्र 17-18 नवम्‍बर, 2021 को शिमला में किया गया था.

वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफार्म की दरकार
बता दें कि पिछली बार पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा था कि मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफार्म’का है. एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी तकनीकी बढ़ावा दे, बल्कि देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करे. उन्होंने सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय होने, हमारी नीतियां, कानून में भारतीयता के भाव को मजबूत करने पर जोर दिया था.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”   

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