• May 3, 2024 10:03 am

कमजोर नजर के कारण आर्मी में नहीं जा सके; हॉकी-फुटबॉल के स्टार प्लेयर

19जुलाई 2022 पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एनडीए से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा। राजस्थान के झुंझुनूं जिले में 18 मई 1951 को जन्मे धनखड़ का चित्तौड़गढ़ से भी गहरा रिश्ता रहा है।

दरअसल, गांव में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने यहां के सैनिक स्कूल में एडमिशन लिया था। इस स्कूल में 1962 से 1969 तक पढ़ाई की। उनका NDA में भी सिलेक्शन हुआ था। मगर आंखों की कम रोशनी के कारण जा नहीं पाए।

धनखड़ अपने टीचर्स से आज भी जुड़े हुए हैं। सैनिक स्कूल के रिटायर्ड टीचर एचएस राठी ने उन्हें पढ़ाया है। आज भी हर गुरू पूर्णिमा और अन्य मौके पर धनखड़ अपने गुरुओं से बात करते हैं। भास्कर ने भी धनखड़ के टीचर से बात कर उनके स्कूल के दिनों के बारे में जाना…

धनखड़ के हाउस मास्टर और केमिस्ट्री टीचर एचएस राठी (86) ने बताया कि वह काफी मेहनती और अनुशासन में रहने वाले बच्चों में से एक थे। 1962 में 5th क्लास में वह स्कूल आए थे। उनके बड़े भाई कुलदीप धनखड़ एक क्लास सीनियर थे।

दोनों भाई स्कूल के ही हॉस्टल सांगा हाउस में रहते थे। राठी सर ने बताया कि जगदीप पढ़ाई में हमेशा होशियार रहे। खासकर मैथ्स में इतने अच्छे थे कि अपने बड़े भाई और सीनियर स्टूडेंट तक को पढ़ा देते थे।

हॉकी खेलने का था शौक
राठी सर ने बताया कि पढ़ाई के अलावा स्कूल के कई कॉम्पिटिशन में भी भाग लेते थे। 1965-66 में इंग्लिश डिक्टेशन कॉम्पिटिशन के विनर रहे। इसके अलावा वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी कई बार भाग लिया। राइटिंग भी काफी अच्छी थी। 1968 की रिव्यू सैनिक स्कूल बुक में उनका एक इंग्लिश आर्टिकल भी छपा था।

टीचर ने बताया कि वे हॉकी और फुटबॉल के भी अच्छे प्लेयर रहे। वे 1969 में 11th पास कर वह स्कूल से गए। उनका NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में सिलेक्शन हो गया था, लेकिन आंखों की कम रोशनी के कारण वह जा नहीं पाए। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद LLB की पढ़ाई की। जयपुर में ही रहकर वकालत शुरू की थी।

रिपोर्ट कार्ड में टीचर लिखकर भेजते थे “Excellent”
एचएस राठी का कहना है कि धनखड़ डिसिप्लिन्ड कैडेट रहे। इस कारण उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी अच्छी रहती थी। टीचर्स उनके माता-पिता को प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजते हुए अलग से “Excellent” लिखकर जरूर भेजते थे।

राज्यपाल बनते ही अपने पास बुलाया था
राठी सर का कहना है कि आज भी उनकी बात फोन पर होती है। जब वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। तब बार-बार अपने पास पश्चिम बंगाल आने का आग्रह किया, लेकिन उम्र अधिक होने के कारण नहीं गए। सर ने बताया कि उन्होंने हमेशा रिसपेक्ट दी है। आज भी गुरु पूर्णिमा पर फोन कर आशीर्वाद लेते हैं। उनसे बातचीत करते हैं।

वॉट्सऐप के जरिए दोस्तों और टीचर से बात
जगदीप धनखड़ अपने दोस्तों और टीचर से वॉट्सऐप के जरिए जुड़े हुए हैं। उनके बैच के दोस्तों ने ‘फाउंडर 1961’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया हुआ है। राठी का कहना है कि इन्हीं सब बातों से पता चलता है कि वह आज भी जमीन से जुड़े हुए इंसान हैं। उस समय भी वह अपने हर टीचर का सम्मान करते थे और बहुत ही सामान्य से रहते थे।

एचएस राठी, जगदीप धनखड़ के टीचर और हाउस मास्टर रहे हैं। उन्हें 1994 में राष्ट्रपति अवॉर्ड मिला। इस सम्मान के चलते उनका कार्यकाल भी 2 साल तक बढ़ा दिया गया था। 1996 में 62 साल की उम्र में उनका रिटायरमेंट हुआ। उनकी पत्नी भी हॉस्टल में रहने वाले सभी बच्चों से जुड़ जाती थी। कभी भी कोई बच्चा अगर बीमार होता तो मां बनकर उनकी सेवा करती थी। राठी का बेटा बीएसएफ में है।

source “दैनिक भास्कर”

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