बेगूसराय। लीची से मिलता जुलता रूप और स्वाद में खट्टे मीठे चटकारे लगने वाला फल स्ट्रॉबेरी बेगूसराय के तापमान में भी अब उपजने लगी है। दसवीं के छात्र द्वारा शुरू की गई प्रायोगिक खेती के बाद वृहत पैमाने पर किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर मामूली लागत से कई गुना आमदनी कर सकते हैं। दसवीं के छात्र के आम जीवन में नवप्रयोग करने की लगन और मेहनत के बल पर लगाई गई स्ट्रॉबेरी के पौधों में फल पकने लगे हैं। बताते चलें कि अमूमन ठंड प्रदेशों में होने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती अब बेगूसराय के मंझौल में की जा रही है। दरअसल विगत साल कोरोना काल में लगे देशव्यापी लॉकडाउन में बेगूसराय से हजारों किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश के विलासपुर गांव से एक कंपनी से खरीद कर कुरियर के माध्यम से स्ट्रॉबेरी का पौधा मंगाकर खेती शुरू की गई। मंझौल के मथुरामल टोला निवासी दसवीं के छात्र एकलव्य कौशिक ने स्ट्रॉबेरी की खेती प्रायोगिक तौर पर शुरू की है। कोरोना काल में शुरू की खेती, अब बड़े पैमाने पर करने की तैयारी 750 पौधों को लगाकर यहां के वातावरण में उपजाने की कवायद विगत साल नवंबर में शुरू हुई थी। एकलव्य ने बातचीत में बताया कि यह खेती आम के बगीचे में की जा रही है। इसमें एक ही साथ आम और स्ट्रॉबेरी लगी हुई है, जहां 11 कॉलम में 750 पौधे लगाए गए हैं। 750 पौधे की कीमत घर तक पहुंचने में कुरियर चार्ज लगाकर लगभग छह हजार रुपये लगे। एकलव्य ने बताया कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए पर्याप्त तापमान चाहिए जो उनके इलाके में मौजूद है। उनका कहना है कि उन्होंने ट्रायल के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है। स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाने के पीछे का मकसद था कि उसके रखरखाव में काफी कम खर्च आता है और समय भी काफी कम लगता है। इसके चलते मात्र तीन महीने के भीतर ही इसका रिजल्ट देखने लगे हैं। बताया कि बरसात के मौसम तक काफी आसानी से इसकी पैदावार होती रहेगी। स्ट्रॉबेरी का पौधा फूल खिलने के एक महीने बाद फल देता है और एक पौधे में 18-20 फल लगते हैं जो अमूमन पांच से छह सेंटीमीटर तक के होते हैं।
कम लागत में अच्छी उपज के साथ ऊंची कीमत भी बातचीत में बताया कि जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा तो उस समय सभी स्कूल कॉलेज शिक्षण संस्थान बंद थे। घर में बैठे ख्याल आया कि क्यों न आम के बगीचे में क्रॉप फार्मिंग के तहत स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए। चूंकि यह कम जगह में अच्छी उपज के साथ ऊंची कीमत भी दे जाता है। बताया कि एक पौधे में एक से डेढ़ केजी तक फल होने के आसार हैं। इसे हम नजदीक के मंडी में भी बेच सकते हैं या फिर जहां से पौधे मंगवाए उनको हम फल भी बेच सकते हैं। करीब हजार रुपये किलो खुदरा बिकने वाला इस फल की उपज के बाद चार सौ रुपये प्रति किलो में बिकेगा। लगभग सभी पौधों में फूल के बाद फल पकने शुरू हो गए हैं। फल टूटने के चार दिन बाद पकने लगेंगे। हालांकि अभी जितना फल टूट रहा है, स्थानीय स्तर पर ही खपत हो जा रहा है। गर्म जगहों में भी होने लगी है स्ट्रॉबेरी की खेती बताते चलें कि खेती से ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों में स्ट्रॉबेरी की खेती भी किसानों को अपनी ओर लुभा रही है। स्ट्रॉबेरी के फल में अपनी अलग खुशबू, विभिन्न विटामिन और लवण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं। इसमें काफी मात्रा में विटामिन सी, ए और के पाया जाता है। एक एकड़ की फसल में किसान पांच से छह लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। बेहद नाजुक, खाने में हल्का खट्टा और मीठा स्वाद लिए स्ट्रॉबेरी की छह सौ किस्में मौजूद हैं और ये सभी अपने स्वाद रंग रूप में एक दूसरे से भिन्न होती है।