8 मई 2023 ! हिंसा प्रभावित मणिपुर में जनजीवन कुछ हद तक सामान्य हो रहा है। सोमवार की सुबह कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील देने के बाद इंफाल में लोग दुकानों पर अपनी जरूरतों की चीजें खरीदते हुए देखा गया। इस बात की जानकारी अधिकारी की ओर से दी गई है।
अधिकारी ने कहा कि कर्फ्यू में ढील देने के दौरान सेना के ड्रोन और हेलीकॉप्टरों ने कड़ी नजर रखी गई थी और साथ ही, सेना और असम राइफल्स के जवानों ने पिछले कुछ दिनों में जातीय हिंसा से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया।
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में आदिवासियों ने राज्य के दस पहाड़ी जिलों में बुधवार को प्रदर्शन किया, जिसके बाद हिंसा भड़क गई और इसमें लगभग 54 लोगों की जान चली गई। मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।
बुधवार को राज्य में लगाए गए कर्फ्यू के बाद रविवार को सुबह 7 बजे से 10 बजे तक ढील दी गई थी और सोमवार की सुबह इंफाल के पश्चिम जिले में सुबह पांच बजे से आठ बजे तक ढील दी गई। लोग बड़ी संख्या में सब्जी, किराना और दवाइयां खरीदने के लिए अपने घरों से निकलते नजर आए थे।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिति को सुधारने में मदद के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निगरानी और समर्थन के लिए आभारी हैं। सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा, “मैं स्थिति पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्री के कार्यालय के साथ लगातार संपर्क में हूं कि राज्य में आगे कोई हिंसा न हो।”
पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने रविवार को बताया कि केंद्र मणिपुर में युद्धरत समूहों के साथ बातचीत करने और उनके मुद्दों को हल करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “कृपया मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए आगे आएं, सरकार तैयार है। आपने किसानों के मुद्दे को देखा है। जब यह शांतिपूर्ण था, तो हमने उन्हें समझाने की कोशिश की। मुद्दा हल नहीं होने पर हम उनकी मांग पर सहमत हुए और उन बिलों (तीन कृषि कानूनों) को वापस ले लिया गया इसलिए, सरकार अडिग नहीं है।”
सोर्स :– ” जागरण ”