9 दिसंबर 2021| पिछले एक सालों से कई किसान संगठनों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलनरत किसान आंदोलन ख़त्म करने पर आज फ़ैसला करेंगे.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने पहले पन्ने की दूसरी लीड ख़बर लगाई है- किसान संगठनों का आंदोलन ख़त्म करने पर फ़ैसला आज.
गृह मंत्रालय ने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें कहा गया है कि उनकी लंबित मांगों का समाधान हो गया है. अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण चाहता है, जिनमें प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ ‘फ़र्ज़ी’ मुक़दमों को वापस लेना शामिल है.
गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को लेकर सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों की मंगलवार को एक बैठक हुई थी. इस बैठक में बुधवार को दोपहर बाद दो बजे फिर बैठक करने का फ़ैसला हुआ है और इसी बैठक में आंदोलन ख़त्म करने पर अंतिम निर्णय होगा.
गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर किसान संगठनों को कुछ मामलों में स्पष्टीकरण चाहिए. इनमें प्रदर्शनकारी किसानों पर ‘फ़र्ज़ी’ मुक़दमों को वापस लेना और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर बात करने के लिए एक कमिटी बनाने की बात शामिल है.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ किसानों का कहना है कि गृह मंत्रालय के प्रस्ताव की भाषा को ठीक कर दिया जाए तो वे आंदोलन ख़त्म करने को तैयार हैं. भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को किसान नेताओं के सामने वार्ता के लिए बैठना चाहिए.
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- उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों का अभियान शुरू हो गया है, ऐसे में किसान आंदोलन और उनसे जुड़े मुद्दों का ज़िंदा रहना सरकार के लिए भी चुनौती है.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एमएसपी गारंटी को क़ानूनी कवच देना, टिकैत के समर्थकों के लिए अब भी एक बड़ा मुद्दा है. देश के दूसरे हिस्सों में हरियाणा और पंजाब की तरह मौजूदा एमसएपी सिस्टम प्रभावी नहीं है. दूसरी तरफ़ गृह मंत्रालय ने अपने प्रस्ताव में एमएसपी गारंटी को लेकर महज़ कमिटी बनाने की बात कही है और इस कमिटी में संयुक्त किसान मोर्चा के लोगों को भी शामिल किया जा सकता है. इस कमिटी में एमएसपी के साथ अन्य मुद्दों पर भी बात होगी.
अख़बार से ऑल इंडिया किसान सभा के नेता अशोक धावले ने कहा, ”कमिटी गठित करने के प्रस्ताव में ये विकल्प खुला है कि जिन कथित किसान संगठनों ने तीनों विवादित कृषि क़ानूनों का समर्थन किया था और एमएसपी की जगह वे वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन के साथ थे, उन्हें भी शामिल किया जा सकता है.” उन्होंने कहा कि कमिटी ऐसी होनी चाहिए, जिसमें एमएसपी अहम मुद्दा हो और उसमें हमारी बात सुनी जाए.
गृह मंत्रालय के प्रस्ताव में एक और बात को लेकर किसान संगठनों का मतभेद है. ख़ास कर पंजाब के किसान नेता इस पर सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं. जिन आंदोलनकारी किसानों पर मुक़दमे दर्ज हैं, उनसे मुक़दमों को वापस लेने के लिए सरकार तैयार है लेकिन शर्तों के साथ. इनमें वे मुक़दमें भी शामिल हैं, जब पिछले साल गणतंत्र दिवस के मौक़े पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में काफ़ी हंगामा और विवाद हुआ था.
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किसानों की मांग है कि आंदोलन ख़त्म होते ही किसानों पर लगे मुक़दमे वापस हो जाने चाहिए. ये मुक़दमे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली पुलिस के हैं. पंजाब में भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ”आंदोलन तभी ख़त्म होगा जब मुक़दमे वापस होंगे और इसमें कोई शर्त नहीं होनी चाहिए.”
बीकेयू के दूसरे धड़े के नेतृत्व करने वाले हरियाणा के किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि समय सीमा के भीतर किसानों पर दर्ज मुक़दमें वापस होने चाहिए और जिन आंदोलनकारी किसानों की मौत हुई है, उनके परिजनों को आर्थिक मुआवजा भी दिया जाए. गुरुनाम सिंह ने कहा कि सभी राज्य पंजाब की तर्ज़ पर मुआवजा दें. पंजाब ने मृतक किसानों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रुपए का मुआवजा दिया है.
Source;- “बीबीसी समाचार“