18 अक्टूबर 2021 | कोरोना के चलते राजस्थान में पिछले साल पूरी तरह बंद रही आतिशबाजी को इस बार दो घंटे की छूट दी गई है। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद से पटाखा बनाने से जुड़े हजारों मजदूरों के चेहरे पर भी मुस्कान नजर आई है। करीब 500 करोड़ रुपए के इस व्यवसाय में एक बार फिर अच्छे मुनाफे की उम्मीद जगी है। पटाखा व्यापारियों की माने तो पिछले साल के बचे हुए स्टॉक के नुकसान की भरपाई करते हुए इस साल कीमतों में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होना तय है।
पिछले साल राज्य में पटाखा छोड़ने और बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध था। इस बार दो घंटे की छूट देकर सरकार ने पटाखों की बिक्री का रास्ता खोल दिया है। वर्ष 2019 तक राज्य में पटाखों का 400 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ था, जो इस बार 500 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। वैसे तो राज्य सरकार ने सिर्फ 2 बजे तक पटाखे छोड़ने की अनुमति दी है, लेकिन व्यापारियों को विश्वास है कि दिवाली के दो दिन जमकर आतिशबाजी होगी।
राज्य में पटाखा व्यवसाय
राज्य में पटाखा बनाने वाले 40 हजार से ज्यादा मजदूर है। इनमें जयपुर के शोरगर भी शामिल है और बीकानेर में फुलझड़ियां बनाने वाले कारीगर भी। बीकानेर के अलावा अजमेर के किशनगढ़ और भरतपुर में भी बड़े स्तर पर पटाखों का निर्माण होता है। बीकानेर संभाग के हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में भी पटाखा फैक्ट्रियां हैं, जहां बड़ी संख्या में फुलझड़ी और अन्य पटाखे बनते हैं। अजमेर और भरतपुर में फुलझड़ी के अलावा सुतली बम, अनार और पैंसिल जैसे छोटे-छोटे पटाखे बनते हैं। राज्य के पटाखा व्यवसाय पर अजमेर और भरतपुर का हिस्सा ज्यादा है, जबकि बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर सहित कई अन्य जिलों में भी पटाखे बनते हैं।
यहां बिकते हैं राजस्थान के पटाखे
राजस्थान में बनने वाली फुलझड़ी सहित कुछ उत्पाद देशभर में बिकते हैं। बीकानेर से हरियाणा, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अनेक राज्यों में फुलझड़ी जाती है। पिछले साल बंद थी, लेकिन इस बार ये आतिशबाजी का सामान फिर बिकेगा।
बचा हुआ है स्टॉक
पटाखा व्यवसायी वीरेंद्र किराडू का कहना है कि पिछले साल पटाखों पर रोक के कारण अधिकांश स्टॉक बचा हुआ है। कुछ दुकानदारों ने पहले खरीद लिया था। उनके पास पटाखे सुरक्षित पड़े हैं। वहीं 90 फीसदी उत्पादन फैक्ट्रियों में ही पड़ा है। इस बार पटाखों के रेट 20 परसेंट तक बढ़ सकते हैं। पिछले साल हुए भारी नुकसान का हिसाब भी इस बार होगा। हालांकि अन्य राज्यों की तुलना में पटाखा इस बार भी राजस्थान में ही सस्ता मिलेगा।
यहां से आता है कच्चा माल
पटाखा निर्माता बताते हैं कि राजस्थान में फुलझड़ी का अधिकांश कच्चा माल तमिलनाडु से आता है। साथ ही आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और दिल्ली से भी कच्चा माल आ रहा है। राजस्थान के अलवर में कुछ मात्रा में कच्चा माल तैयार होता है। वहीं पैकिंग के लिए डिब्बे और अन्य सामान दिल्ली और तमिलनाडु के शिवकाशी से आते हैं। राज्य से बाहर कच्चे माल की कीमत बढ़ चुकी है। इसी कारण पटाखों की कीमत में बढ़ोतरी होना तय है।
Source :- दैनिक भास्कर