• May 9, 2024 3:28 pm

फ्रांस ने अल्‍जीरिया से लिया बदला! जानें ब्रिक्स सम्मेलन में कैसे PM मोदी के एक चाल से फेल हो गया शी जिनपिंग का प्लान

अगस्त 30 2023 ! हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 वें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए साउथ अफ्रीका का दौरा किया था. ये सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक चली थी. इस दौरान भारत के अलावा चीन, ब्राजील, साउथ अफ्रीका और रूस भी शामिल हुए थे. इस बार हुए ब्रिक्स सम्मेलन में 6 नए देशों को भी शामिल किया गया, जिसमें अर्जेंटीना, इथियोपिया, ईरान, मिस्र, सऊदी अरब और यूएई शामिल हुए. हालांकि, इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री  के एक फैसले ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मंसूबों पर पानी फेर दिया.

आपको बता दें कि उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया लंबे समय से ब्रिक्स+ में शामिल होना चाहता था. हालांकि, पिछले हफ्ते साउथ अफ्रीका में संपन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन में ये संभव नहीं हो सका. अरब मीडिया द क्रडाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे भारत का सबसे बड़ा हाथ रहा. भारत ने फ्रांस के कहने पर उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र अल्जीरिया के विरुद्ध अपने वीटो का इस्तेमाल कर ब्रिक्स+ में एंट्री को ब्लॉक कर दिया.

अल्जीरिया के डीज़ेयर ट्यूब से बात करने वाले जानकार सूत्रों का कहना है कि फ्रांस ने ब्रिक्स+ शिखर सम्मेलन से पहले अपने भारतीय समकक्षों से संपर्क किया. उन्होंने भारत से ब्रिक्स+ ब्लॉक में अल्जीरिया के एंट्री को रोकने के लिए वीटो करने का आग्रह किया.

फ्रांस ने ऐसा इसलिए कहने को कहा कि क्योंकि वो अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में बढ़ते अल्जीरिया के प्रभाव का बदला लेना चाहता था. आपको बता दें कि अल्जीरिया में चीनी दबदबा बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर फ्रांस ने उनके संबंधों को कमजोर करने के लिए भारत से वीटो करने का अनुरोध किया था.

फ्रांस ने दशकों से भारतीय सरकारों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एकमात्र यूरोपीय स्थायी सदस्य होने के नाते फ्रांस ने साल 1998 में भारत के परमाणुकरण का समर्थन किया था. वहीं फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रोन के तहत उनके संबंध घनिष्ठ हो गए हैं, जिन्होंने 2019 में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थिति का समर्थन किया था.

कश्मीर और दक्षिण एशियाई राष्ट्र के साथ कई रक्षा समझौतों पर मुहर लगाई है. अल्जीरिया के खिलाफ भारत के वीटो के कारण मतदान प्रक्रिया के दौरान चीन के साथ विवाद हुआ. अनादोलु एजेंसी के अनुसार, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने भी अल्जीरिया के प्रवेश का विरोध किया.

अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में वेर्स्टन विरोधी आंदोलन के बढ़ रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण नाइजर में सैन्य जुंटा के तरफ से फ्रांसीसी समर्थित सरकार को हटाने की तस्वीर का सामने आना है. इसके बाद से पेरिस और अल्जीरिया के बीच तनाव बढ़ गया है.

इसके बाद से अल्जीरिया ने नाइजर में ECOWAS सैन्य अभियान का विरोध किया है. इस दौरान फ्रांसीसी सैन्य विमानों को अल्जीरियाई हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद फ्रांस इस कोशिश में जुट गया कि किसी भी हालत में अल्जीरिया की एंट्री ब्रिक्स+ में न हो सके.

सोर्स :-“ABP न्यूज़                                            

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *