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जुटा रहा मिट्टी को सोना बनाने में अन्नदाता

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Dec 10, 2020
जुटा रहा मिट्टी को सोना बनाने में अन्नदाता

बागपत: खेतों में काम कर रहे किसानों को नए कृषि कानूनों का विरोध कतई रास नहीं आ रहा है। यकीन नहीं तो गांवों में घूम आइए, जहां खेत दर खेत किसान गन्ना कटाई, गेहूं बुआई को जुताई या सिचाई, सब्जियां या कोई दूसरा काम करते मिलेंगे। बुधवार को भी खेती किसानी में जुटे अन्नदाता बोले कि हां या ना पर अड़े आंदोलनकारी किसान नहीं हो सकते। और कुछ नहीं, बस बड़े लोगों की सियासत है..।

निनाना गांव की खेत पर गन्ना कटाई में जुटीं सरिता चौधरी ने किसान आंदोलन की बात सुन सवाल दागने के अंदाज में बोलीं कि भला घर का मुखिया परिवार के सदस्यों का बुरा चाहेगा? मोदीजी प्रधानमंत्री हैं और पूरा देश उनका परिवार है। फिर वह कैसे किसानों का बुरा चाहेंगे? हमें ज्यादा कुछ तो पता नहीं, लेकिन नए कृषि कानून ठीक होंगे। आंदोलन की आंदोलन करने वाले जानें लेकिन हम सड़कें जाम कर आंदोलन करने के पक्ष में नहीं हैं। हां! गन्ना दाम बढ़ाना चाहिए।

नैथला गांव में गन्ना कटाई में जुटे किसानों में राकेश त्यागी किसान आंदोलन को गलत बताकर बोले कि किसानों की किसे चिता है..सब बड़े लोगों की राजनीति है। किसानों का आंदोलन होता तो फिर खेतों में किसान काम करते क्यूं मिलते? सभी आंदोलन में शरीक होते, लेकिन यह किसानों का आंदोलन है ही नहीं। किसानों को मोहरा बनाने का प्रयास करके सियासत चमकाने का खेल है।

वहीं गौरीपुर जवाहरनगर के 65 वर्षीय कुलबीर सिंह चौहान सवाल सुनते ही तपाक से बोले कि नए कृषि कानून बिल्कुल ठीक हैं। खोट कानून में नहीं, आंदोलन करने वालों की नीयत में है। जिन्हें नए कृषि कानून के बारे में ए-बी-सी तक का पता नहीं, वे भी सरकार पर गरज रहा, क्योंकि उन्हें तो बस सरकार का विरोध करना है। इसे किसान अच्छी तरह समझ चुके हैं। इसलिए तो किसान खेती-किसानी में जुटे हैं। हम झूठ नहीं बोल रहे हैं। दूसरे गांवों में जाकर देख लीजिए.. खेतों में किसान न मिले तो तब हमसे बात करना..।

  • 93 गांवों के किसानों ने दिया समर्थन

भाजपा सांसद डा. सत्यपाल सिंह ने बागपत में पत्रकारों से कहा कि बागपत के 93 गांवों के किसानों ने नए कृषि कानून बनने पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को दिल्ली जाकर बधाई दी थी। किसान इन कानूनों से खुश हैं। सोचने की बात यह है कि पंजाब और हरियाणा की भीड़ क्यों ज्यादा है।

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