पलवल. हरियाणा के पलवल जिले के गांव अल्लीका के किसान रामकिशन ने एक एकड़ भूमि में काला गेहूं का उत्पादन किया है. किसान रामकिशन ने बताया कि काला गेहूं (Black Wheat) की खेती करने से उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी इजाफा होगा. कृषि विशेषज्ञ महेंद्र सिंह देशवाल ने बताया कि रसायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग करने से भूमि का स्वास्थ्य (Health) लगातार बिगड़ रहा है, जिसकी वजह से फसलों का उत्पादन भी कम हो रहा है. उन्होंने बताया कि जिले के किसानों को काला गेहूं के उत्पादन के लिए लगातार जागरूक कर रहे हैं.
काला गेहूं में पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर है. इसलिए किसानों को सामान्य गेहूं के मुकाबले काला गेहूं का उत्पादन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि सामान्य गेहूं की तरह ही काला गेहूं की बिजाई की जाती है. इसमें कोई अलग से लागत नहीं लगती है. कम लागत में किसान अधिक फसल का उत्पादन ले सकता है. काला गेहूं हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. इसलिए जिले के किसानों को परम्परागत खेती छोड़ कर काला गेहूं की खेती करनी चाहिए. काला गेहूं की बाजार में भी अधिक मांग है. बाजार में इसकी कीमत चार हजार से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल है. उन्होंने बताया कि यह काला गेहूं डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है.
किसान रामकिशन ने बताया कि एक एकड़ भूमि में काला गेहूं की खेती की गई है. उन्होंने बताया कि काला गेहूं सामान्य गेहूं से अलग होता है. इसकी बालियां सामान्य गेहूं की तरह ही दिखाई देती है, लेकिन इसका बीज काला और लंबा होता है. यह खाना में स्वादिष्ट होता है और इसकी रोटियां बिल्कुल मुलायम बनती है.
उन्होंने बताया कि कृषि विशेषज्ञों से जानकारी हासिल करने के बाद में उन्होंने काले गेहूं का बीज मंगवाया और एक एकड़ में बिजाई कर दी. बिजाई के दौरान केवल गोबर का खाद प्रयोग किया गया. काला गेहूं की फसल में फुटाव काफी अच्छा आया और फसल काफी अच्छी हुई है. उन्होंने बताया कि एक दो दिनों में फसल की हार्विटिंग कर दी जाएगी. उन्हें उम्मीद है कि काला गेहूं का उत्पादन भी अच्छा होगा. उन्होंने बताया कि काला गेहूं में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है और यह गेहूं बीमारियों की रोकथाम में काफी कारगर साबित होता है. इसलिए अन्य किसानों को भी कम से कम एक एकड़ भूमि में काला गेहूं का उत्पादन करना चाहिए.