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विरोध के बीच हीरालाल शास्त्री कैसे बने राजस्थान के पहले CM, क्या था सरदार पटेल से कनेक्शन? पढ़ें दिलचस्प किस्से

ByADMIN

Nov 24, 2023 ##prompt times

24  नवंबर 2023 ! अपने जन्म के समय से ही राजस्थान कांग्रेस के लिए चुनौती बना रहा. पहले कांग्रेसी कुर्सी के लिए आपसे में लड़ते रहे और अब अपने-अपनों से लड़ रहे हैं तो स्वाभाविक विपक्ष से भी संघर्ष जारी है. सचिन पायलट-अशोक गहलोत संघर्ष पूरे चार साल चला. पायलट को डिप्टी सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी लेकिन संघर्ष चलता रहा. सीएम अशोक गहलोत विपक्ष से कम अपनों से ज्यादा परेशान रहे. इस चुनाव के परिणाम क्या होंगे यह समय बताएगा लेकिन बीते पांच साल अशोक गहलोत ने विरोध करने वालों को अपने तरीके से निपटाते रहे-बहलाते रहे.

राजस्थान की फितरत है अपनों का विरोध. इसके अनेक प्रमाण शुरू से मिलते हैं. सबको पता है कि आजादी के समय देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी. राजस्थान राज्य का निर्माण भी बड़ी मुश्किलों के बाद हो पाया. पटेल की इच्छाशक्ति और इरादे मजबूत न होते तो आज का राजस्थान शायद हमारे सामने न होता. कुछ और ही देख रहा होता देश. जब राजस्थान बना तो सीएम की रेस में कई लोग सामने आ गए. गुटबाजी इस कदर कि नेहरू-पटेल भी कन्फ्यूज होने लगे. जय नारायण व्यास, माणिक्य लाल वर्मा, गोकुल भाई भट्ट और पंडित हीरा लाल शास्त्री, ये चार नाम ऐसे थे जिन्होंने रियासतों को मिलाने से लेकर कांग्रेस को मजबूत करने में अपने-अपने तरीके से जुटे रहे. इसलिए चारों की दावेदारी थी. बनना किसी एक को था.

ऐसे में सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रभाव के बाद पंडित हीरा लाल शास्त्री नवगठित राज्य के पहले सीएम बने और 7 अप्रैल 1949 को शपथ ली. आज यानी 24 नवंबर 1899 को उन्हीं हीरा लाल शास्त्री की जयंती है. अनेक विपरीत सूरत में उन्होंने जो कर दिया, बिरले ही कर पाते हैं. आइए उनके जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से जानते हैं.

पहले उनका नाम हीरा लाल जोशी था. अंग्रेजी शासन, अत्याचार चरम पर था. माता-पिता मामूली किसान थे. बचपन मुश्किलों में कटा लेकिन वे कुशाग्र बुद्धि के थे. पढ़ाई चलती रही. उन्होंने संस्कृत से शास्त्री की शिक्षा हासिल कर ली. यह डिग्री आने के साथ ही हीरा लाल जोशी, हीरा लाल शास्त्री बन गए. वे गांव में ही शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाना चाहते थे. गरीबों की मदद करने की तमन्ना रखते थे. पर उन्हें जयपुर स्टेट सर्विस जॉइन करनी पड़ी.

बेहद कम 21 साल की उम्र में वे अफसर बन गए और देखते ही देखते गृह, विदेश सचिव बने. उन्होंने मेयो कालेज में भी अपनी सेवाएं शिक्षक के रूप में दी. फिर धीरे-धीरे उनकी रुचि राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में जाग उठी तब उन्होंने स्टेट सर्विस से इस्तीफा देकर पूरी तरह देश-समाज सेवा में जुट गए.

जमना लाल बजाज उन दिनों जयपुर प्रजामंडल के प्रमुख थे. शास्त्री उनके संपर्क में आए तो दोनों की जोड़ी जमने लगी. बजाज ने शास्त्री को सचिव बना दिया. फिर अचानक बजाज के निधन के बाद प्रजामंडल की जिम्मेदारी शास्त्री के कंधों पर आ गई. इस बीच वे नेहरू, पटेल जैसे बड़े नेताओं के संपर्क में भी आ गए. उनकी प्रतिभा से पटेल काफी प्रभावित थे. आजादी के बाद संविधान सभा में भी उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिल तो वे तर्कपूर्ण तरीके से पेश आए. उनकी भूमिका राजघरानों को एक करने में भी महत्वपूर्ण रही. यह काम भी सरदार पटेल के मन का था. देखते-देखते वे पटेल के दिल-दिमाग पर अपना प्रभाव बनाने में कामयाब रहे.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

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