कोरोना महामारी से लड़ने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने के बावजूद वित्त वर्ष 2021 के लिए देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का स्तर साल 2019 के स्तर से नीचे रहने की आशंका है.
अख़बार जनसत्ता में छपी एक ख़बर के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महामारी के शुरू होने से पहले ही जीडीपी और निवेश धीमा पड़ चुका था.
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए पूर्ण लॉकडाउन के कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल जून) में आर्थिक बाधाएं अपने चरम पर थीं.
लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटना शुरू हुई लेकिन सालाना आधार पर शून्य के क़रीब आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के साथ चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की गति हल्की पड़ गई.
अख़बार कहता है कि रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के सात फीसद रहने का अनुमान है जबकि इससे पहले के साल में यानी 2020-21 में कोरोना महामारी और उसके असर के कारण इसमें 7.7 फीसदी से अधिक के गिरावट होने का अनुमान है.
गंभीर हालात पैदा कर सकती है कोरोना की दूसरी लहर: सरकार
केंद्र सरकार ने राज्यों को चेतावनी दी है कि देश में हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर दवाब पड़ सकता है.
हिंदुस्तान टाइम्स के पहले पन्ने पर छपी एक ख़बर के अनुसार सरकार का कहना है कि बीते साल अक्टूबर के बाद पहली बार देश की पॉज़िटिविटी दर पाँच फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है जो कोरोना महामारी की दूसरी लहर की गंभीरता को दर्शाता है.
सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वो महामारी को फैलने से रोकने के लिए तुरंत उचित कदम उठाएं और अस्पतालों और इंटेन्सिव केयर यूनिट में सुविधाएं और बेहतर करें.
देश में कोरोना माहामारी की स्थिति को लेकर मंगलवार को हुई साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेस में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने 10 ज़िलों को चिह्नित किया जहां कोरोना के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है.
ये ज़िले हैं- पुणे, मुंबई, नागपुर, ठाणे, नाशिक, औरंगाबाद, बेंगलुरु शहर, नांदेड़, दिल्ली और अहमदनगर. इनमें से आठ ज़िले अकेले महाराष्ट्र के हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेस में नीति आयोग के सदस्य विनोद कुमार पाल ने कहा, “बीते कुछ सप्ताह से देश में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. कुछ राज्यों में स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है.”
उन्होंने कहा कि कहा कि अभी भी कोरोना को लेकर सतर्क रहने की ज़रूरत है.
पाल ने कहा, “किसी भी राज्य या ज़िले को इसे रोकने के लिए किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. हमें यह याद रखना होगा कि अगर मामले बढ़े तो इसका दवाब स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ सकता है.”
वहीं, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोविड-19 के लिए कम टेस्टिंग और सुरक्षा को लेकर एहतियात न बरतने और त्योहारों के कारण लोगों के अधिक संख्या में एक जगह पर इकट्ठा होने के कारण संक्रमण के मामलों में तेज़ी आई है.
अधिक संक्रमण वाले जिलों में 45 साल से अधिक उम्र के सभी को वैक्सीन
इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि जिन ज़िलों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं वहां अगले दो सप्ताह में 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को कोरोना का टीका दिया जाए.
एक अप्रैल से टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरुआत होने वाली है जिसके तहत 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका दिया जाएगा.
जिन 46 ज़िलों में देश में कुल कोरोना संक्रमण के 70 फीसदी से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, शनिवार को उनकी एक अहम बैठक हुई थी.
अख़बार के अनुसार इस बैठक में केंद्र सरकार ने कहा कि कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों में 90 फीसदी से मामलों में मरने वाले की उम्र 45 साल से अधिक थी.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि दो सप्ताह के भीतर अधिक केसलोड वाले ज़िलों के 45 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए टीका सुनिश्चित किया जाए. इस स्तर पर किसी तरह की कोताही के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
परमबीर सिंह की याचिका पर होगी सुनवाई
दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार बॉम्बे हाई कोर्ट में बुधवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई होनी है.
परमबीर ने गृह मंत्री देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली का आरोप लगाया है और मामले की सीबीआई जांच की गुज़ारिश की है.
इससे पहले मंगलवार को चीफ़ जस्टिस ने दीपांकर दत्ता याचिका को स्वीकार कर सुनवाई के लिए बुधवार का दिन तय किया था.
अख़बार के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार देर शाम इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय उच्च स्तरीय का गठन किया है.
यह समिति अगले छह महीनों में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
BBC