• May 14, 2024 8:00 pm

कभी इजराइल का दोस्त था ईरान, जानिए कैसे बना दुश्मन और क्या है हमास से कनेक्शन

अक्टूबर 12 2023 ! ईरान और इजराइल में कभी बहुत गहरी दोस्ती थी. ईरान से तेल खरीदने में इजराइल अव्वल था. पर, यह कुछ बरस ही चला. ईरानी विद्रोह के बाद जैसे ही वहां के शासक शाह रजा पहलवी ने गद्दी छोड़ी और शिया नेता अयातुल्ला खुमैनी ईरान के प्रमुख बने, सब खत्म हो गया. ईरान के नए राष्ट्र प्रमुख ने इसे पूर्ण रूप से इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया और अमेरिका से दूरी बना ली. इजराइल से रिश्ते को तोड़ने में कहीं न कहीं उसकी अमेरिका से दोस्ती भी एक प्रमुख कारण रही.

ईरान की नफरत इस हद तक दिखी कि सत्ता संभालते ही उसने उसी भवन में फिलीस्तीन का दूतावास खोल दिया, जिसमें इजराइल का दूतावास हुआ करता था. इसका उद्घाटन करने के लिए फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन के प्रमुख यासर अराफ़ात आनन-फानन ईरान पहुंच गए. कहने की जरूरत नहीं है कि इजराइली दूतावास खत्म कर दिया गया.

दूतावास में तैनात करीब तीन दर्जन अधिकारी-कर्मचारी ईरान में छिपकर जान बचाते रहे. अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद उन्हें किसी तरह से ईरान से सुरक्षित बाहर निकाला जा सका. सत्ता परिवर्तन के बाद अचानक हुए इस बदलाव के बाद इजराइल को काफी आर्थिक नुकसान हुआ. ऐसे में मन ही मन उसने भी ईरान से खुन्नस रखनी शुरू कर दी.

ईरान के नए शासक और उनके सहयोगियों को लगता है कि इजराइल, अमेरिका और उनके मित्र देश मुसलमानों के सबसे बड़े दुश्मन हैं. वे अन्याय करते हैं. ईरान की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. ईरान ने फिलीस्तीन की आजादी को भी अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा, इसीलिए जब 1982 में इजराइल ने लेबनान पर धावा बोला तो ईरान ने अपने सैनिक भी उतार दिए.

उधर, सत्ता परिवर्तन के साथ ही ईरान ने चरमपंथी समूहों की मदद शुरू कर दी, जो इजराइल के खिलाफ काम कर रहे थे. हमास, हिजबुल्लाह जैसे चरमपंथी संगठनों को ट्रेनिंग, पैसा, हथियार से लगातार मदद के बारे में इजराइल कहता रहता है. हालांकि, ईरान ने सार्वजनिक तौर पर कभी नहीं स्वीकार किया कि वह चरमपंथी समूहों की मदद करता है. लेकिन दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां इस सच को जानती हैं.

लेबनान में तो ईरानी सैनिकों ने लेबनान की सेना और हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ट्रेनिंग भी दी है. पहले आर्थिक नुकसान, फिर लगातार छद्म युद्ध जैसी स्थिति ने इजराइल-ईरान के बीच दूरी बढ़ा दी है, जिसके कम होने की संभावना फिलहाल दूर-दूर तक नहीं है. इतने तनाव के बीच इजराइल-ईरान के रिश्ते सामान्य नहीं होने वाले हैं. और ईरान उसे अपरोक्ष रूप से तंग करने का कोई मौका चूकेगा नहीं.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

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