नवंबर 10 2023 ! इन पाँच राज्यों में से तीन राज्यों में बीजेपी का सीधा मुक़ाबला कांग्रेस से है. मिज़ोरम और तेलंगाना ऐसे दो राज्य हैं, जहाँ स्थानीय पार्टियाँ मुक़ाबले में हैं.
119 विधानसभा सीटों और 17 लोकसभा सीटों वाले तेलंगाना में राष्ट्रीय पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस के लिए सत्तारूढ़ दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के खिलाफ़ बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है. 10 साल पहले ही तेलंगाना का गठन हुआ था.
बीआरएएस को भरोसा है कि किसानों और समाज के कई वर्गों के लिए काम कर रही उसकी सरकारी योजनाओं से उसे चुनावी जीत मिलेगी.
कई जानकारों के मुताबिक़, उत्तर भारत में बीजेपी अपने चरम पर पहुँच चुकी है और वहाँ 2024 के संसदीय चुनाव में संभावित सीटों के नुक़सान की भरपाई करने के लिए ज़रूरी है पार्टी अपने गढ़ से बाहर पकड़ मज़बूत करे.
बीजेपी को तेलंगाना से उम्मीदें इसलिए भी हैं, क्योंकि पार्टी ने साल 2019 में क़रीब 20 प्रतिशत वोट के साथ तेलंगाना में चार लोकसभा सीटें जीतकर कई विश्लेषकों को आश्चर्य में डाल दिया था.
वजह समझना मुश्किल नहीं. कई हिंदुत्व समर्थक ओवैसी के कटु आलोचक रहे हैं.
चुनाव से पहले रज़ाकार फ़िल्म के टीज़र का रिलीज़ होना और पिछले साल पैग़ंबर मोहम्मद पर कथित विवादित बयान की वजह से सस्पेंड किए गए बीजेपी विधायक राजा सिंह का निलंबन रद्द करने को भी तेलंगाना में बीजेपी के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने के चश्मे से देखा जा रहा है.
तेलंगाना में राजा सिंह को हिंदुत्व का पोस्टर ब्वॉय बताया जाता है.
बीजेपी और हिंदू संगठनों पर तेलंगाना में ही ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं.
तेलंगाना में स्थानीय लोगों के मुताबिक़, पिछले कुछ महीनों और सालों में छत्रपति शिवाजी की मूर्तियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी हैं, हालाँकि इस बारे में आँकड़े नहीं मिलते.
आलोचक बीजेपी नेता बंडी संजय कुमार के फ़रवरी के बयान की ओर ध्यान दिलाते हैं, जब उन्होंने तेलंगाना के सभी में मूर्ति स्थापित करने की बात करते हुए था, “हिंदू धर्म को बचाने के लिए हमने शिवाजी की मूर्ति लगाई है. हर गांव में लोगों को ऐसे नेताओं के लिए वोट डालना चाहिए जो हिंदू धर्म के लिए काम करें.”
सोर्स :-“BBC न्यूज़ हिंदी”