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कोरोना के बाद तबाही मचाने वाला है जापान का ये वायरस? जानें लक्षण और बचाव का तरीका

07  दिसंबर 2022 |  कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है और इस बीच जापान के इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis) के मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में इंसेफेलाइटिस वायरस का मामला सामने आया है और 4 साल का एक बच्चा संक्रमित पाया गया है.

मच्छर के काटने से फैसला है यह वायरस

इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis) एक मच्छर जनित फ्लेवीवायरस है और यह मच्छरों के काटने से फैलता है.  इस वजह से इंसेफेलाइटिस वायरस के संक्रमण का खतरा सभी उम्र के लोगों को होता है. यह डेंगू, येलो फीवर और वेस्ट नाइल वायरस के समान जीनस से संबंधित है.

1871 में जापान में आया था पहला मामला

इंसेफेलाइटिस वायरस (Encephalitis Virus)  का पहला मामला साल 1871 में जापान में सामने आया है. इस वजह से इसे जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis) भी कहा जाता है. इंसेफेलाइटिस वायरस का संक्रमण दर काफी कम हैं, लेकिन इंसेफेलाइटिस से होने वाली मृत्यु दर करीब 30 प्रतिशत तक हो सकती है.

​जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण

केंद्रीय रोग नियंत्रण  (CDC) विभाग के अनुसार, कई बार जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) के लक्षण नहीं दिखते हैं और ज्यादातर मामलों में शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आता है. इंसेफेलाइटिस वायरस के आम लक्षणों की बात करें तो इससे संक्रमित लोगों को बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, न्यूरोलॉजिकल लक्षण, कमजोरी, मूवमेंट डिसऑर्डर और बच्चों में दौरे की समस्या नजर आ सकती सकती है.

​जापानी इंसेफेलाइटिस से क्या है खतरा

जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) से संक्रमित लोगों में न्यूरोलॉजी बीमारी विकसित होती है, लेकिन इसकी दर एक प्रतिशत से भी कम है. इस वायरस से संक्रमित 20 से 30 प्रतिशत लोगों की मौत हो सकती है. इसके अलावा गंभीर संक्रमण से ठीक होने वाले 30 से 50 प्रतिशत लोगों में में तंत्रिका संबंधी और मनोरोग संबंधी लक्षणों के बने रहने की संभावना रहती है.

सोर्स :-“ZEE न्यूज़ हिंदी”                

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