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कड़ाके की ठंड पड़ेगी, अभी सितंबर अंत तक एक्टिव रहेगा मानसून

07 सितंबर 2022 | राजस्थान में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इसके साथ ही सर्दी की एंट्री 1 महीने पहले अक्टूबर में ही हो जाएगी। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि नवंबर के पहले-दूसरे सप्ताह तक सर्द होने वाली रातें इस बार 10 से 15 अक्टूबर के बीच शुरू होने की संभावना है। सर्दी भी सामान्य 120 दिन की जगह 150 दिन तक रहेगी। दरअसल, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मानसून बताया जा रहा है। इस बार मानसून 20 सितंबर या उसके बाद तक एक्टिव रहेगा। ऐस में विंड पैटर्न जैसे-जैसे बदलेगा मानसून की विदाई देरी से होगी। लंबे समय तक मानसून के एक्टिव रहने चलते वातावरण में नमी रहेगी और उससे ठंडक भी बनी रहेगी। यह अक्टूबर के मध्य से रहेगी।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. डीपी दुबे के अनुसार बंगाल की खाड़ी में 8 सितम्बर से एक नया सिस्टम एक्टिव हो रहा है, जिसके असर से मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के एरिया में 12 सितंबर के आसपास रेन फॉल एक्टिविटी होगी। इस सिस्टम के बाद एक नया सिस्टम 14 सितंबर को फिर बनेगा।

इस तरह मानसून इस बार भी देर तक एक्टिव रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि मानसून जितना देरी तक एक्टिव रहता है, उतनी ही संभावना रहती है सर्दी जल्दी आएगी। क्योंकि वातावरण में नमी देर तक रहती है। इससे सुबह-शाम ठंडक रहती है। इसके अलावा विंड पैर्टन भी अक्टूबर में बदलने लगता है और यह नॉर्थ वेस्ट या नॉर्थ साउथ होने लगता है। इससे अफगानिस्तान, जम्मू-कश्मीर से ठंडी हवाएं चलनी शुरू हो जाती है।

जनवरी में पड़ती है कड़ाके की सर्दी
राजस्थान में कड़ाके की सर्दी का दौर सामान्यतः दिसंबर के आखिरी सप्ताह से जनवरी के तीसरे सप्ताह तक रहता है। इस दौरान प्रदेश के कई शहरों में पारा जमाव पॉइंट से भी नीचे चला जाता है। माउंट आबू, चूरू, पिलानी, सीकर समेत कई हिस्सों में तापमान माइनस में चला जाता है। इसके अलावा गंगानगर, हनुमानगढ़, भरतपुर एरिया में इन महीने में अधिकांश जगह घना कोहरा भी देखने को मिलता है।

ठंड के यह कारण रहेंगे

  • पहला: विंड पैटर्न में बदलाव- अमूमन सितम्बर के आखिरी या अक्टूबर के पहले सप्ताह में होता है। मानसून में हवाओं का डायरेक्शन ईस्ट से नॉर्थ-वेस्ट और साउथ से नॉर्थ वेस्ट की तरफ रहता है, लेकिन ये धीरे-धीरे बदलकर अक्टूबर में नॉर्थ से साउथ-वेस्ट की ओर बहने लगती है। इससे जम्मू-लद्दाख, अफगान एरिया से ठंडी हवाएं मध्य व पश्चिमी भारत की तरफ आने लगती है।
  • दूसरा: अक्टूबर से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) एक्टिव– बैक-टू-बैक ये वेर्स्टन डिस्टरबेंस अक्टूबर से फरवरी तक आते रहते है, जिनसे उत्तरी भारत के जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड एरिया में बारिश और बर्फबारी होती है। इससे भी ठंडक मैदानी इलाकों में आती है।
  • तीसरा: सूर्य की दिशा में बदलाव- सूर्य की सीधी किरणें जो जुलाई-अगस्त-सितम्बर में मध्य भारत पर पड़ती है वह अक्टूबर से धीरे-धीरे साउथ दिशा में शिफ्ट होने लगती है, जिसके कारण हिटिंग कम होने लगती है और वातावरण धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है।

Source:-“दैनिक भास्कर”

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