• May 7, 2024 10:01 pm

इटली की प्रधानमंत्री ने लिया अहम फ़ैसला, क्या यह भारत के हक़ में होगा?

7 दिसंबर 2023 ! प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी प्रशासन ने चीन को जानकारी दी है कि वह साल ख़त्म होने से पहले ही प्रोजेक्ट से बाहर आए जाएगा.

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में हुए कोप-28 से अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई नेताओं से मुलाक़ात हुई थी, जिसमें जियोर्जिया मेलोनी भी शामिल थीं.

मेलोनी ने पीएम मोदी के साथ सेल्फी ली थी, जिसे शेयर करते हुए उन्होंने नरेंद्र मोदी को ‘अच्छा दोस्त’ बताया था.

चीन की सबसे महत्वाकांक्षी व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना बीआरआई पर साल 2019 में हस्ताक्षर करने वाला इटली, एकमात्र प्रमुख पश्चिमी देश था.

उस समय अमेरिका, यूरोपीय संघ और पश्चिम के कई देशों ने इटली की आलोचना की थी.

अमेरिका कहना है कि चीन इस प्रोजेक्ट के ज़रिए देशों को ‘क़र्ज़ के जाल’ में फँसा रहा है और उनका इस्तेमाल अपने हितों के लिए कर रहा है.

चीन की बीआरआई में भारत को छोड़ दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं. पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव समेत भारत के लगभग सभी पड़ोसी बीआरआई में शामिल हैं और इसे भारत के लिए झटके के तौर पर देखा जाता रहा है.

ऐसे में इटली का बीआरआई से अलग होना भारत के लिए राहत से कम नहीं है.

भारत-मध्य पूर्व- यूरोप कॉरिडोर को चीन की बीआरआई के जवाब में देखा जा रहा है. इसी साल सितंबर महीने में नई दिल्ली में हुए जी-20 समिट में इस परियोजना की नींव रखी गई थी.

इसमें भारत, इसराइल, सऊदी अरब, यूएई और जॉर्डन शामिल हैं. हालांकि इसराइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध के कारण भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

इससे पहले अर्जेंटीना ने ब्रिक्स में शामिल होने के फ़ैसले से पीछे हटने का निर्णय किया था. ब्रिक्स को ब्रिक्स प्लस में विस्तार देने के तहत अर्जेंटीना को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. अर्जेंटीना के इस फ़ैसले को भी चीन के ख़िलाफ़ देखा गया.

समझौता 2024 मार्च में ख़त्म हो कर ऑटो-रीन्यू यानी अपने आप फिर से लागू हो जाएगा, बशर्ते दोनों पक्षों में से एक पक्ष दूसरे को कम से कम तीन महीने पहले इस बात की जानकारी दे कि वो इस समझौते को आगे लागू नहीं करना चाहता है, लेकिन अब इटली ने यह जानकारी चीन को दे दी है.

बीआरआई प्रोजेक्ट में इटली के शामिल होने के फ़ैसले को प्रधानमंत्री मेलोनी ने पिछली सरकार की एक गंभीर ग़लती बताई थी. वे पहले भी यह संकेत दे चुकी थीं कि इस प्रोजेक्ट से पीछे हटने का मन बना रही हैं.

साल 2019 में इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे ने चीन के साथ बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

2018 में इटली की वित्त मंत्री जियोवानी ट्रिया के चीन दौरे के बाद इटली ने इसमें शामिल होने का फ़ैसला किया था.

हालांकि मेलोनी सरकार ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि वह बीआरआई से क़दम पीछे खींचने के बावजूद चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहती हैं.

  सोर्स :-“BBC  न्यूज़ हिंदी”                                  

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