Bihar News: बिहार (Bihar) का मुजफ्फरपुर जिला लीची की पैदावार के लिए मशहूर है, लेकिन इन दिनों कोरोना (Covid-19) के कहर ने लीची किसानों (Litchi Farmers) को बेहद चिंता में डाल दिया है. इस साल मौसम के साथ-साथ कोरोना भी किसानो के लिए चिंता का विषय बन गया है. देखा जाए तो मौसम का अनुकूल ना होना लीची की पैदावार में कमी का एक कारण माना जा रहा है. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर ने किसानों की बची हुई उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
इस वर्ष अधिक समय तक नमी रहने और अचानक गर्मी आ जाने के कारण मुजफ्फरपुर के अधिकांश बगानों में लीची के पौधों में मंजर कम लगे हैं. इससे साफ जाहिर है कि फलों की संख्या भी कम ही होगी. किसानों का कहना है कि हर साल की तरह इस साल व्यवसायियों ने लीची के बाग नहीं खरीदें हैं. पिछले साल भी किसानों के कोराना की वजह से काफी नुकसान झेलना पड़ा था.
मुजफ्फरपुर के बंदरा क्षेत्र के रहने वाले लीची किसान एस के दुबे बताते हैं कि अब समय से पहले तेज धूप और उच्च तापमान की वजह से फल अभी तक विकसित नहीं हुए हैं और गिर रहे हैं. लीची उत्पादन संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह कहते हैं कि, “जिले में तकरीबन 12 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं. प्रत्येक साल करीब 400 करोड़ का कारोबार होता है. बिहार के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और नेपाल की मंडियों में इसकी खपत होती है. फसल अच्छी होने पर 15 हजार टन तक उत्पादन होता है. पिछले साल करीब 10 हजार टन ही उत्पादन हुआ था. इस बार भी फसल कमजोर है.”
उन्होंने कहा, “पिछले साल अधिक समय तक बारिश होने के कारण क्षेत्र में जलजमाव रहा. इस कारण 50 फीसद पेड़ों में सही समय पर मंजर नहीं आए. जिन पेड़ों में फल आए, वह गिर रहे हैं.” आमतौर अब तक यहां बाहर से व्यवापारी आकर बागों में लगे पेडों में फलों को देखकर खरीददारी कर चुके होते थे, लेकिन कोरोना के कारण अधिकांश व्यापारी अब तक नहीं पहुंचे हैं.
हालांकि कुछ व्यापारियों ने विडियों कॉलिंग के जरिए लीची के बगानों का जायजा लिया है लेकिन यह समस्या यहीं पर हल नहीं होती है. बोचहा में दो लीची बगानों के प्रबंधक मुकेश चौधरी ने बताया कि “वे सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तैयार नहीं हैं. दो साल पहले तक होली के समय ही बागों की बिक्री हो जाती थी. इस साल कोई व्यापारी आ नहीं रहे. कोविड -19 के डर से बाहर के किसी भी व्यापारी ने अब तक हमसे मुलाकात नहीं की है. जो बात भी कर रहे वह आशंकित हैं, इस कारण सौदा नहीं कर रहे.”
मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अधिकारी भी मानते हैं, “कोविड-19 से पिछले वर्ष भी लीची किसान प्रभावित हुए थे, इस साल भी अब जो स्थिति बन रही है, उससे ये प्रभावित होंगे. व्यपारी आ नहीं रहे, अगर व्यापारी नहीं आएंगे तो ये लीची कहां बेच पाएंगें.”