• May 10, 2024 7:18 am

Maha Shivratri 2022 – महाशिवरात्रि के दिन क्यों किया जाता है रात्रि जागरण, जानिए इसका महत्व !

16 फ़रवरी 2022 | हर साल फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. ये सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है. इस दिन महादेव और माता पार्वती का पूजन करने के साथ महाशिवरात्रि की रात को जागने का विशेष महत्व है. यहां जानिए महाशिवरात्रि से जुड़ी खास बातें.

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2022) को साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि माना जाता है. हर साल फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन महादेव और माता पार्वती (Mahadev and Mata Parvati) का वि​वाह हुआ था. ये दिन माता पार्वती और महादेव के साथ उनके भक्तों के लिए भी विशेष है. इस दिन सुबह से ही मंदिरों (Temples) में भक्तों की कतार लग जाती है. लोग महादेव का विशेष पूजन करने के साथ व्रत भी रखते हैं और भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. महाशिवरात्रि की रात को जागरण का भी विशेष ​महत्व है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022 को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. यहां जानिए महाशिवरात्रि के व्रत से जुड़ी खास बातें.

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी. शिवरात्रि की रात को पूजा 4 पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट के बीच की जाएगी. दूसरे पहर की पूजा रात 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:33 मिनट से सुबह 3:39 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:39 मिनट से 6:45 मिनट के बीच की जाएगी. 2 मार्च को ही व्रत का पारण किया जाएगा. व्रत पारण का शुभ समय सुबह 6:45 बजे तक रहेगा.

इसलिए किया जाता है रात्रि में जागरण

धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात माता पार्वती और महादेव के मिलन की रात है. इस रा​त को भजन, कीर्तन और पूजन करके सेलिब्रेट करना चाहिए. लेकिन वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की रात को ग्रह का सेंट्रल फ्यूगल फोर्स एक खास तरह से काम करता है और ये बल ऊपर की ओर गति करता है. इस कारण हमारे शरीर की ऊर्जा का प्रवाह प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर होता है. यही वजह है कि महाशिवरात्रि की रात को रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही जाती है. इससे आपकी ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर चढ़ती है और व्यक्ति प्राकृतिक रूप से आध्यात्मिक शिखर की ओर तेजी से बढ़ता है और परमात्मा से जुड़ता है. इससे उसका तेज भी बढ़ता है.

महाशिवरात्रि को इस तरह करना चाहिए महादेव का पूजन

महाशिवरात्रि का पूरा दिन महादेव और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन उनका व्रत रखकर विशेष रूप से पूजन करना चाहिए. इसके लिए शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिवलिंग का जलाभिषेक करें. घर में सुबह से महादेव के समक्ष एक दीपक जलाएं जिसे अगले दिन सुबह तक जलने दें. ये अखंड दीपक बेहद शुभ माना गया है. इसके बाद महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र आदि चढ़ाएं. मातारानी को सुहाग का सामान चढ़ाएं और दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय नम:’ मंत्र का जाप करें. इसके बाद प्रेम पूर्वक आरती गाएं और आखिर में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.

Source;- “टीवी9हिंदी।”

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