• May 3, 2024 1:08 pm

नॉर्थ कोरिया का एक महीने में चौथा मिसाइल टेस्ट-नए अमेरिकी बैन के बाद भी मिसाइल टेस्ट किया, किम जोंग ने कहा- अपनी हिफाजत हमारा हक

18 जनवरी 2022 | नॉर्थ कोरिया ने मंगलवार को एक और मिसाइल टेस्ट किया। किम जोंग उन की सरकार ने अब तक यह साफ नहीं किया कि मंगलवार को टेस्ट फायर की गई मिसाइल किस तरह की थी। इसके पहले उसने दो हाइपरसोनिक और एक बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट करने का दावा किया था। पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया पर नए प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद तानाशाह किम जोंग के ऑफिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि उत्तर कोरिया को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है।

नॉर्थ कोरिया के मिसाइल टेस्ट इसलिए भी खतरनाक माने जा रहे हैं कि क्योंकि उसके पास पहले से एटमी ताकत मौजूद है। वो अब तक 6 एटमी टेस्ट कर चुका है।

किम के इरादे साफ, हथियारों का टेस्ट करता रहेगा नॉर्थ कोरिया
पिछले महीने किम ने पार्टी की एक अहम मीटिंग की थी। इसमें उसने कहा था कि तमाम मुश्किलों के बावजूद नॉर्थ कोरिया हथियारों का टेस्ट करता रहेगा। किम ने कहा था कि नॉर्थ कोरिया को दुश्मनों से निपटने के लिए मिलिट्री मॉर्डनाइज करनी होगी और ये काम किसी दबाव में बंद नहीं किया जाएगा। इसके बाद उसने दो हाइपरसोनिक और एक बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट किया था। मंगलवार को किए गए मिसाइल टेस्ट को नॉर्थ कोरिया ने कामयाब बताया है।

जापान और साउथ कोरिया अलर्ट
साउथ कोरिया ने सोमवार को कहा था कि नॉर्थ कोरिया की तरफ से दो शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के टेस्ट किए गए हैं। यह टेस्ट प्योंगयांग से 380 किलोमीटर दूर किसी लोकेशन पर कि गए। जापान के डिफेंस मिनिस्टर नोबुओ किशी ने भी मंगलवार को माना कि नॉर्थ कोरिया अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को मजबूत कर रहा है।

इन मिसाइल टेस्ट्स की टाइमिंग भी अहम है। अगले महीने चीन में विंटर ओलिंपिक्स होने हैं और मार्च में साउथ कोरिया में जनरल इलेक्शन हैं। माना जाता है कि चीन ही इकलौता ऐसा मुल्क है, जो नॉर्थ कोरिया को हर तरह की मदद देता है।

अमेरिका और रूस के पास डिटेक्शन की ताकत
अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट डॉक्टर लॉरा ग्रेगो के मुताबिक, हाइपरसोनिक मिसाइलें उतनी भी खतरनाक नहीं हैं, जितनी बताई जाती हैं। इसके कोई शक नहीं कि इनकी रफ्तार और दूरी बहुत ज्यादा है, लेकिन ये कहना सही नहीं है कि इन्हें ट्रैक नहीं किया जा सकता।

लॉरा ने कहा कि इन मिसाइलों से रोशनी और गर्मी निकलती है। अमेरिका और रूस के पास इन्फ्रारेड सैटेलाइट टेक्नोलॉजी है। ये मिसाइल से निकलने वाली गर्मी से उसे डिटेक्ट कर सकती है। दूसरी बात, टारगेट पर पहुंचने से पहले इनकी रफ्तार काफी कम हो जाती है। तब भी इन्हें डिटेक्ट और डेस्ट्रॉय किया जा सकता है। इंफ्रारेड टेक्नीक के जरिए इनका रास्ता पता किया जा सकता है।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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