• April 27, 2024 6:31 pm

पानी में घुला रेडियोएक्टिव मटेरियल, जापान-चीन, साउथ कोरिया तक असर

21 फ़रवरी 2023 | नॉर्थ कोरिया लगातार न्यूक्लियर टेस्ट कर रहा है। इसकी वजह से न सिर्फ वहां के लोगों बल्कि साउथ कोरिया, जापान और चीन में रह रहे लोगों की जान को भी खतरा हो सकता है। दरअसल, अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट साइट से निकल रहे रेडियोएक्टिव मटेरियल पानी में मिलकर इन देशों में पहुंच रहे हैं।

सियोल के एक ह्यूमन राइट्स ग्रुप के मुताबिक, ये रेडियोएक्विट मटेरियल साइट के आसपास 3 देशों और 8 शहरों में पहुंच चुके हैं। नॉर्थ कोरिया में न्यूक्लियर साइट के पास रह रहे करीब 10 लाख से ज्यादा लोग अपनी दिनचर्या के लिए जमीन से आने वाले पानी पर निर्भर हैं। इसके अलावा, नॉर्थ कोरिया से तस्करी के जरिए आने वाले खेती और मछली पालन से जुड़े उत्पादों में भी रेडियोएक्विट मटेरियल होने की आशंका है।

2015 में खाने में 9 गुना ज्यादा था रेडियोएक्टिव सीजियम
अमेरिका और साउथ कोरिया के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने 2006 से 2017 के बीच पुंग्यी-री साइट पर करीब 6 टेस्ट किए हैं। ये साइट नॉर्थ हैमग्योंग प्रांत में जमीन के नीचे बनी है। 2015 में साउथ कोरिया की फूड सेफ्टी एजेंसी ने चीन से इम्पोर्ट किए गए मशरूम में स्टैंडर्ड लेवल से 9 गुना ज्याद रेडियोएक्टिव सीजियम पाया था। ये मशरूम नॉर्थ कोरिया से चीन पहुंचे थे।

नॉर्थ कोरिया ने रेडिएशन के डर को खारिज किया
वहीं, चीन और जापान ने भी नॉर्थ कोरिया के बढ़ते न्यूक्लियर टेस्ट को देखते हुए रेडिएशन पर नजर बनाए रखने के आदेश दिए हैं। उन्होंने खाने-पीने के सामानों में रेडियोएक्टिव मटेरियल पहुंचने को लेकर भी चिंता जताई है। हालांकि, नॉर्थ कोरिया ने पीने के पानी में इन मटेरियल के पहुंचने से जुड़ी रिपोर्ट्स को खारिज किया है। उसके मुताबिक, किसी भी न्यूक्लियर टेस्ट के दौरान कोई लीकेज नहीं हुआ था जिससे लोगों की जान को खतरा नहीं है।

2006 से अब तक इलाका छोड़ चुके हैं 880 लोग
2018 में जब न्यूक्लियर टेस्ट साइट पर कुछ टनल्स के डिस्ट्रक्शन को देखने के लिए विदेशी पत्रकार नॉर्थ कोरिया पहुंचे थे, तो वहां उनके रेडिएशन डिटेक्टर्स को जब्त कर लिया गया था। इसके बाद वहां डिफेक्टर्स (रेडिएशन लीकेज से जुड़ी जांच करने वाला उपकरण) को भी रोक दिया गया। 2017-18 में पुंग्यी-री साइट के पास लगे 40 डिफेक्टर्स में से 9 में खामियां पाई गई थीं। बढ़ती न्यूक्लियर टेस्टिंग के बीच 2006 के बाद से साइट के आसपास रह रहे 880 लोग अपने घर छोड़कर जा चुके हैं।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                      

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