• April 28, 2024 8:03 am

शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में जल्द सुनाई देगी दहाड़, 5 बाघ लाने की मिली मंजूरी, पहले चरण में 3 आएंगे

30 अगस्त 2022 | लंबे इंतजार के बाद अब आखिरकार जल्द ही माधव राष्ट्रीय उद्यान में एक बार फिर टाइगर (बाघ) ही दहाड़ सुनने को मिलेगी। फ्री रेंज टाइगर लाने के लिए माधव राष्ट्रीय उद्यान को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने टाइगर की पुर्नस्थापना के लिए अनुमति दे दी है। इसमें पांच बाघों को यहां पर चरणबद्ध तरीके से पुर्नस्थापित किया जाएगा। पहले चरण में तीन टाइगर शिवपुरी के नेशनल पार्क में लाए जाएंगे। इसके लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी ने पहले ही स्वीकृति दे दी थी और प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री के पास भेज दिया था। अब केंद्रीय मंत्री की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार पहले चरण में तीन बाघ आएंगे, जिनमें दो टाइग्रेस और एक टाइगर होगा। पहले चरण के टाइगर नवंबर-दिसंबर तक आ जाएंगे।

इसके बाद यह किस तरह से यहां रहते हैं और किस तरह खुद को अनुकूल करते हैं, उसके अध्ययन के आधार पर अगले चरण में दो और टाइगर लाए जाएंगे। यह पांच बाघ फ्री रेंज में आएंगे यानी यह किसी पिंजरे में नहीं रहेंगे, बल्कि राष्ट्रीय उद्यान में खुले में विचरण कर सकेंगे। विभाग से जुड़े लोगों के अनुसार तीनों टाइगर अलग-अलग केंद्र से या दो केंद्र से लाए जा सकते हैं। इसके पीछे कारण है कि एक ही जीन पूल के टाइगर के सर्वाइव करने की संभावना ज्यादा नहीं होती है। जबकि अलग-अलग जीन पूल होने पर उनका वंश अच्छे से आगे बढ़ता है। इसलिए यहां कान्हा के साथ बांधवगढ़ और पेंच से टाइगर लाए जा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इंटरनेट मीडिया पर इसके संबंध में पोस्ट कर मंत्री भूपेंद्र यादव का आभार व्यक्त किया।

14 अगस्त को सबसे पहले नईदुनिया ने दी थी जानकारीः माधव नेशनल पार्क में टाइगर लाने की अनुमति मिलने की जानकारी सबसे पहले नईदुनिया ने 14 अगस्त को अपने पाठकों तक पहुंचाई थी। तब बताया था कि एनटीसीए ने फ्री रेंज टाइगर के लिए हरी झंडी दे दी है और सिर्फ अधिकृत रूप से इसका पत्र आना शेष है।

रणथंबौर-कूनो और शिवपुरी के बीच बनेगा कोरिडोरः आगामी योजनाओं में रणथंबौर, कूनो और शिवपुरी के बीच पर्यटन सर्किट बनाए जाने की योजना भी है। कूनो में जल्द ही चीते आने वाले हैं। वहीं रणथंबौर में भी बाघों को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। माधव राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद सांख्य सागर झील को कुछ दिन पहले ही रामसर साइट का दर्जा मिल चुका है और यह प्रदेश की दूसरी वेटलैंड है। यहां टाइगर आने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ना तय है। ऐसे में प्रयास है कि पर्यटक जब इस क्षेत्र में आएं तो वे तीनों जगहों को देख सकें। भविष्य में टाइगर कोरिडोर भी प्लान किया जा रहा है क्योंकि आगे चलकर माधव राष्ट्रीय उद्यान की टाइगर रिजर्व बनाने की योजना है।

टाइगर सफारी भी हो चुकी है स्वीकृतः माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर सफारी के लिए पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है। इसके मास्टर प्लान पर भी काम शुरू हो चुका है। मास्टर प्लान के अनुसार टाइगर सफारी 120 एकड़ में बनाई जाएगी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी के लिए सतना के मुकुंदपुर से मार्गदर्शन भी लिया जा रहा है। हालांकि टाइगर सफारी के निर्माण में काफी समय लगेगा, जिसकी वजह से नेशनल पार्क में टाइगरों की पुर्नस्थापना में देरी हो रही थी। इसके चलते पहले फ्री रेंज टाइगर लाने का निर्णय लिया गया है।

1995-96 तक थे टाइगर, तारा-पेटू ने बसाया था कुनबाः सन् 1988-89 में माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनी थी। यहां पेटू और तारा नाम के जोड़े को रखा गया था। फेंसिंग कर इनकी देखभाल पर हर माह हजारों रुपये खर्च भी किए जाते थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या भी बढ़ी और इनके द्वारा लगभग 11 बच्चों को जन्म भी दिया गया, लेकिन तारा के आदमखोर हो जाने के चलते यह टाइगर सफारी बंद कर दी गई। तारा ने माधव राष्ट्रीय उद्यान घास काटने आई एक महिला का शिकार कर लिया था और उसके बाद उसने एक अन्य महिला को भी अपना निशाना बनाया था। इसके बाद भारत सरकार ने ही इस टाइगर सफारी को बंद कर दिया। उसके बाद बाकी के बाघों को अन्य नेशनल पार्कों में भेज दिया गया। माधव राष्ट्रीय उद्यान में 1995-1996 तक ही टाइगर सफारी रही। बाद में इसे बंद कर दिया गया।

पिता के नक्शे कदम पर केंद्रीय मंत्री सिंधिया, फिर से बसा रहे टाइगरः पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया के प्रयासों से वर्ष 1988-89 में माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनी थी। बाद में 1996 में इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद यहां टाइगर नहीं रहे। एक बार फिर यहां टाइगर पुर्नस्थापित करने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रयास शुरू किए और अपने पिता की तरह नेशनल पार्क में टाइगरों को स्वीकृति दिलाई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पूरे प्रोजेक्ट में व्यक्तिगत रूचि दिखाई और केंद्रीय स्तर से अनुमतियां दिलाने में मदद की। उनके बेटे महानआर्यमन सिंधिया भी कई बार माधव नेशनल पार्क के दौरे पर आए और अधिकारियों से टाइगर की पुर्नस्थापना के संबंध में चर्चा की थी।

वर्जन-

चरणबद्ध तरीके से पांच चरणों में टाइगर लाने की अनुमति मिल चुकी है। पहले चरण में तीन टाइगर आएंगे जो अक्टूबर माह तक आ सकते हैं। इसके बाद अगले चरणों में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। काफी हद तक अभी हमारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। टाइगर आने से शिवपुरी के पर्यटन को काफी लाभ मिलेगा। अभी यह तय नहीं है कि किसी नेशनल पार्क या टाइगर रिजर्व से इन्हें लाया जाएगा।

सोर्स :-“नईदुनिया”        

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