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पाक बॉर्डर पर रखेगा नजर; सियाचिन की चोटियों पर भी कर सकेगा लैंडिंग

  31 अगस्त 2022 | देश के सबसे बड़े और ताकतवर जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर स्वदेशी अटैकर हेलिकॉप्टर रुद्र की तैनाती होने वाली है। लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (LCH) की जोधपुर में तैनात होने वाली यह देश की पहली स्क्वाड्रन होगी। यह एयरफोर्स वर्जन की पहली स्क्वाड्रन होगी। गत जून में सेना को इसकी स्क्वाड्रन मिल चुकी है।

आगामी 8 अक्टूबर को एयरफोर्स डे पर 10 हेलिकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) से मिलने वाले हैं। इससे पश्चिमी सीमा की हवाई ताकत बढ़ेगी। पांच साल पहले स्वदेशी एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात हुई थी।

इसकी खासियत यह है कि ये भारत-पाक बॉर्डर और भारत-चीन बॉर्डर पर नजर रखेगा। ये सियाचिन की चोटी पर लैंड कर सकता है। इसमें फ्रंट में गन भी लगी है।

चीन की हरकतों पर विराम लगाने में करेगा मदद
1 जून को भारतीय सेना ने बेंगलुरु में लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर का पहला स्क्वॉड्रन बनाया। बताया जा रहा है कि अगले साल इसे और बढ़ाया जाएगा, ताकि LAC पर चीन की गतिविधि पर नजर रख सके और उनकी हरकतों पर विराम लगा सके। सेना के मुताबिक वो अभी 95 LCH और खरीदेगी। इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी। जिनमें से सात पहाड़ी इलाकों पर तैनात की जाएंगी।

रुद्र की रफ्तार अधिकतम 268 किमी प्रतिघंटा है और रेंज 550 किलोमीटर है। यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है। अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 20 mm की गन होती है, जो हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला कर सकती है। इसके अलावा इसमें चार हार्डप्वाइंट्स होते हैं, जिनमें रॉकेट्स, मिसाइल और बम एक साथ लगाए जा सकते हैं।

पहली बार 1999 करगिल युद्ध में इस हेलीकॉप्टर कमी महसूस हुई
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर ध्रुव हेलीकॉप्टर का विकसित रूप है। पहली बार इसकी 199 कारगिल युद्ध के दौरान इसकी कमी महसूस हुई थी। हालांकि, तब इसके विकसित रूप पर काम चल रहा था। सियाचिन हो, रेगिस्तान हो, जंगल हो, या फिर 13-15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ हों, इस हेलीकॉप्टर ने ट्रायल्स के दौरान भारत के हर तरह के इलाकों में उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था।

इस हेलिकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इस पर हमला कर सकता है, क्योंकि ये सिस्टम इस हेलिकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं। इसके अलावा राडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है। साथ ही शाफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके।

पूर्व लद्दाख में तैनात हैं दो LCH
भारतीय वायुसेना के लिए पूरी तरह से तैयार करने से पहले इन स्वदेशी LCH हेलीकॉप्टर्स का ट्रायल सियाचिन ग्लेशियर से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक हो चुका है। इस दौरान LCH में पर्याप्त मात्रा में फ्यूल से लेकर उसके हथियार भी लगे हुए थे। यहां तक कि औपचारिक तौर से वायुसेना में शामिल होने से पहले ही दो LCH हेलीकाप्टर पूर्वी लद्दाख से सटी LAC पर तैनात हो चुके हैं।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                         

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