नवंबर 7 2023 ! महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का आश्वसन मिलने के बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटील ने भले ही अपना अनशन खत्म कर दिया हो, लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे के प्लान पर सरकार में ही दो फाड़ हो गए हैं. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि मराठा आरक्षण के लिए ओबीसी के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से अलग आरक्षण दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसका विरोध करेंगे और सरकार में रहते हुए संघर्ष करेंगे. ओबीसी समाज चुप नहीं बैठेगा. इस तरह से छग्गन भुजबल ने सीएम शिंदे के प्लान पर ग्रहण लगा दिया है.
छग्गन भुजबल ने कहा कि तेली, माली समुदाय और ओबीसी समाज के नेता हैं तो क्या आप उनके घर और कार्यालय को जला देंगे. भुजबल ने कहा कि संदीप क्षीरसागर, जयदत्त क्षीरसागर, प्रकाश सोलंके के घर पर हमला किया गया. समता परिषद के सुभाष राऊत के होटल पर हमला किया गया. ओबीसी नेताओं को निशाना बनाया गया. यह मराठा समुदाय की एक सहज प्रतिक्रिया नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी. बीड में शिवाजी महाराज की छवि भी तोड़ी गई, जिसे हम कैसे सहन कर सकते हैं. भुजबल ने पुलिस पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने क्यों नहीं रोका.
भुजबल ने कहा कि जिस जालना जिले में अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के सम्मेलन में शरद पवार ने ओबीसी को आरक्षण देने की मांग की थी, अब उसी जालना जिले में ओबीसी समुदाय के आरक्षण को खत्म करने की तैयारी की साजिश की जा रही है. इस तरह से उन्होंने कहा कि ओबीसी समाज को अब एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है. ओबीसी के हक और अधिकार के लिए हमेशा लड़ने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए भी वो इसके खिलाफ लड़ेंगे.
छग्गन भुजबल ने कहा कि आरक्षण मिलता है तो भी सभी लोगों को फायदा नहीं होता. आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है. ऐसे में यदि आरक्षण की समस्या को हमेशा के लिए हल करना है और सभी समुदायों के लिए न्याय करना है तो फिर जातीय आधारित जनगणना कराई जानी चाहिए. जातिगत जनगणना से सभी समुदायों के आंकड़े सामने आएंगे तब जाकर आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है. भुजबल ने साफ किया कि महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के साथ किसी को भी अन्याय नहीं करने देंगे. भुजबल ने जिस तरह से ओबीसी को लेकर तेवर दिखाए हैं, उससे मराठा आरक्षण देने के शिंदे प्लान पर ग्रहण लग सकता है.
दरअसल मराठा समुदाय को फिलहाल अलग से आरक्षण देना मुमकिन नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसे पहले ही रद्द कर दिया था. ऐसे में शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण मुद्दे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार को सलाह देने के लिए विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित कर रखी है. सुप्रीम कोर्ट से यह मामला कब हल होगा, इसकी कोई तय सीमा नहीं है. मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में एकनाथ शिंदे ने ओबीसी समुदाय में आने वाली कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देकर मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने की रणनीति बनाई है.
सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष “