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सनातन संस्कृति ही भारत की पहचान – शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज

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Nov 18, 2020
सनातन संस्कृति ही भारत की पहचान - शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज Inbox

नीमच 18 नवम्बर 2020 । सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्म और संस्कृति है। सनातन धर्म भारत और भारतीय मूल्यों की पहचान है। वैदिक प्रणव ओम और तांत्रिक प्रणव ह््रीं दोनों बीजमंत्र हैं। षुद्ध ब्रम्ह ओम स्वरूप है और चित् षक्ति ह््रीं शक्ति स्वरूपा है। यही माया ब्रम्ह का वास्तविक रहस्य है जो निराकार साकार भी है। आदि विद्या से आध्यात्म विद्या, सद्ज्ञानप्रदायिनी विद्या इसी से ही मुक्ति मिलती है।
यह बात ज्योतिर्मठ अवांतर भानपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंदजी तीर्थ महाराज ने कही। वे दानागली स्थित नाथूलाल पाराशर के निवास शिवालय पर गत रात्रि 8 बजे आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
स्वामी ज्ञानानंदजी ने कहा कि भारत ने हमेशा पूरे विश्व को मानवता को, शांति, एकता और बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। ये वो सन्देश है जिनकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है। जो प्राणी श्रीमद्देवी भागवत को प्रतिदिन प्रेमपूर्वक श्रवण करता है उसके ह्दयरूपी गुफा में निर्गुण तथा हरि-हर आदि देवताओं के लिए भी सर्वश्रेष्ठ विद्यारूपिणी, सज्जनों की एकमात्र आराध्या एवं समाधि द्वारा जानने योग्य वे भगवती निवास करने लगती हैं। शंकराचार्य जी के साथ ब्रम्हचारी नीरजजी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर पाराशर परिवार के नाथूलाल पाराशर, भगवतीदेवी, रूद्र पाराशर, अर्चना पाराशर, आराध्या पाराशर, अभिषेक पाराशर, प्रमोद व्यास, कृष्णकान्त मुन्ना गोयल, नवल जोशी, अनिल जोशी, प्रदीप बंसल, भाजपा नेता चंद्रप्रकाश मोमू लालवानी, धन्नालाल पाराशर, कमलेष पाराशर, विनोद जैन, शिवशंकर शर्मा, चारभुजानाथ पैदल यात्रा संघ के त्रिलोक शर्मा, राधावल्लभ मण्डोवरा, बहादुर आंजना, मुरली मण्डोवरा, जगदीश सोमानी, रविन्द्र कांठेड लाला, हेमन्त अजमेरा, लक्की पाराशर, अर्जुनलाल जायसवाल, देवीलाल बबलु यादव आदि भक्तों ने शंकराचार्य जी की चरण पादुका पूजन कर शाल -श्रीफल से सम्मान कर आशीर्वाद ग्रहण किया।

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