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लाहुल घाटी में बिखर रहे जनजातीय संस्कृति के रंग

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Feb 1, 2021
लाहुल घाटी में बिखर रहे जनजातीय संस्कृति के रंग

मनाली :- लाहुल घाटी में जनजातीय संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाए जा रहे स्नो फेस्टिवल की धूम मची हुई है। उत्सव के सातवें दिन रविवार को केलंग के साथ लगते कमांडर नाले में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आइस क्लाइमिग हुई। इससे पहले यह खेल स्पीति में ही आयोजित होता था, लेकिन पीती धार ग्रुप के सहयोग से पहली बार लाहुल में भी शुरू करवाया गया। इसमें रोमांच के साथ जोखिम भी काफी होता है। हालांकि यह खेल अभी ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया है लेकिन पीती धार ग्रुप की माने तो लाहुल में इस खेल की बहुत संभावना है।

पीती धार ग्रुप के सदस्य टोनी और प्रीति डांगर ने बताया कि जब घाटी के युवा इस खेल का सफलतापूर्वक प्रशिक्षण ले लेंगे तो साहसिक पर्यटन भी कारोबार का जरिया बन जाएगा। टीम के साथ गए केलंग निवासी कुंदन ने बताया कि खेल को देखने व प्रशिक्षण लेने को स्थानीय युवाओं ने काफी रुचि दिखाई। उपायुक्त लाहुल स्पीति पंकज राय ने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही स्नो फेस्टिवल मनाया जा रहा है। आने वाले दिनों में आइस क्लाइमिग साहसिक पर्यटन का भाग होगी। घाटी में हर जगह संस्कृति के रंग बिखर रहे हैं।

लाहुल का दौरा कर छह दिन बाद मनाली पहुंचे तकनीक शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि उन्होंने केलंग, उदयपुर, त्रिलोकनाथ, कवारिग, गौशाल व शाशिन में स्नो फेस्टिवल की शुरुआत की। यह उत्सव दो माह तक चलता रहेगा। सिस्सु में पर्यटकों का लाहुली रीतिरिवाज के साथ खतक व लाहुल टोपी पहना कर स्वागत किया। स्नो फेस्टिवल में पर्यटक लाहुल के पारंपरिक व्यंजन जैसे अडू ओडोंग (उबले हुए लाल आलू), लवाड़ (चिलड़ा), आडू पल (आलू की सब्जी), छकु चा (नमकीन चाय) और मार्चू (लाहुली पूरी) का स्वाद चख रहे हैं।

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