• May 21, 2024 5:36 am

कोरोना के साइड इफैक्ट-लक्षण ना होते हुए भी लोगों ने मनमर्जी से खाई कोरोना की दवाइयां, नतीजा- अब थकान, घबराहट, पेट दर्द व शुगर जैसी बीमारियां बढ़ी

16  नवम्बर 2021| कोरोना के हालात और डर के बीच दवाओं की बिक्री को लेकर चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। दूसरी लहर की बात करें तो कई दवाओं की खपत 10 गुना ज्यादा हाे गई। इनमें अधिकांश दवाएं ऐसी थी जो बिना डॉक्टर की सलाह के कभी नहीं लेनी चाहिए और उनका ज्यादा उपयोग शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचा सकता है। अब जो तस्वीर सामने आई है। वह यही है कि लोगों ने बिना डॉक्टर की सलाह के जरुरत ना होते हुए भी इन दवाओं का उपयोग बहुत ज्यादा किया और अब उनमें कई तरह के साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं।

कोरोना की दूसरी लहर में ढाई से तीन महीने के दौरान ही जिले में लोग 20 लाख पैरासिटामाेल, 22 लाख फेबी फ्लू, 20 लाख पैंटासीड टेबलेट खा गए। जाे अब तक इन दवाओं की रिकाॅर्ड बिक्री रही। डॉक्टर्स और मेडिकल कारोबारियों की माने तो ये दवाएं लेने वाले अधिकांश लोग ऐस थे। जिन्होंने मर्जी से इनका उपयोग किया। वे मामूली लक्षणों पर यह दवाएं लेते रहे। अब वे नई बीमारियों से जूझ रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोगों को अब थकान, बुखार, एंजाइटी, सीने में दर्द, सांस लेने की समस्या, भूख नहीं लगने और शुगर की समस्या सामने आ रही है।

4 टेबलट से ही समझिए, कितनी दवाएं खा गए लोग

1. कोरोना से पहले पैरासिटामोल की एक महीने में 2 लाख टेबलेट की खपत होती थी। कोरोनाकाल में यह 18 लाख तक पहुंच गई। 2. एजिथ्रोमाइसिन हर महीने 1.30 लाख टेबलेट के लगभग उपयाेग में आती थी। जाे दूसरी लहर में 8.50 लाख हाे गई। 3. फैबिफ्लू की मई जून के दाैरान रिकाॅर्ड बिक्री रही। जिले में 20 लाख से ज्यादा टेबलेट की खपत हो गई। 4. पेंटासिड की हर महीने 10 लाख टेबलेट मरीज लेकर जाते हैं जाे काेराेना में 20 लाख तक पहुंच गई थी।

मुंह का अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर, एलर्जी, सेप्टीसीमिया जैसे रोग बढ़े

कोरोना काल में बेवजह ली गई अत्यधिक दवाओं का असर अब सामने आ रहा है। भास्कर ने इस संबंध में जिले भर में अलग- अलग विशेषज्ञ डॉक्टर्स से बातचीत की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पोस्ट काेविड के मरीज अब सामने आ रहे हैं। जानिए, लोगों में अब किस तरह की बीमारियां सामने आ रही। लीवर कमजोर होना, हार्टबीट बढ़ना, ब्लड प्रेशर लो होना, उल्टी, पसीना आना, शरीर कांपना, शुगर लेवल बढ़ रहा है, कफ बनता है, खराश, नाक जाम रहती है। शरीर टूटता है। मन में उलझन और अनिश्चितता की स्थिति बनी रहती है।

मुंह का अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर, खून में कोलेस्ट्रॉल की कमी, एलर्जी, सेप्टीसीमिया, फेफड़ों पर बुरा प्रभाव, घबराहट रहती है। शरीर का तापमान बढ़ा रहता है। वजन बढ़ रहा है। कुछ लोगों में घटने की समस्या सामने आई है। एड़ियों में सूजन, पेट दर्द, बेचैनी, डायरिया, हार्टबीट स्लो होना, एंजाइटी, कम सुनाई देना, ब्लीडिंग, मसल वीकनेस और बाल झड़ने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। इनकी मरीज रोजाना डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं।

एक्सपर्ट व्यू : बिना डॉक्टर की सलाह के ली दवाइयां, इसलिए इतनी ज्यादा बिकी

काेराेना में कई तरह की दवाओं की खपत 20 गुना तक बढ़ी। जिन दवाओं की महीने में 50 हजार टेबलेट की खपत हाेती है। उनकी डिमांड 10 लाख टेबलेट तक हाे गई थी। साधारण बुखार में काम आने वाली पैरासिटामाेल और फेबीफलू खूब खरीदी गई। इनके अलावा स्टेराॅयड भी लाेगाे ने काेराेना का इलाज मानकर खूब ली हैं। लोगों में कोरोना का डर ऐसा था कि बिना डॉक्टर की सलाह के एंजियाेथ्राेमाइसिन, लिमसी, फेबीफ्लू, डाॅक्सी समेत अन्य दवाएं खरीदी भी और खा भी ली।- शिवकुमार अग्रवाल, स्टॉकिस्ट

काेराेना की पहली लहर में एचसीक्यू 200 एमजी टेबलेट काफी ज्यादा काम में ली गई थी, लेकिन इस बार उसकी बिक्री नहीं हुई। फेबिफ्लू और विटामीन सी के साथ एंटीबाॅयाेटिक टेबलेट की बिक्री सर्वाधिक रही है। पहले रिटेल कांउटर पर हर महीने 4 से 6 हजार पैरासिटामाेल की टेबलेट बिक रही थी। जाे काेराेना में लगभग 10 गुना ज्यादा बढ़ गई। इसी तरह से विटामीन सी के टेबलेट भी काफी खाई। जिसके कारण से कोरोना के बाद भी लोगों को नई तरह की बीमारियों को झेलना पड़ रहा है।- श्याम सुंदर डालमिया, अध्यक्ष, केमिस्ट एसोसिएशन

डाॅक्टराें की सलाह के बिना दवाओं का उपयाेग करने से साइड इफैक्ट के केस सामने आ रहे हैं। एक डाॅक्टर कारणाें के साथ दवाओं का काम्बिनेशन बनाकर इलाज करता है। इससे दवाओं के साइड इफैक्ट काे राेकने के लिए भी दवाएं जाेड़ी जाती है, लेकिन कोरोना में लोगों ने किसी से सुनी सुनाई बातों के आधार पर खुद ही इलाज कर लिया। कई लोग तो ऐसे भी हैं। जिन्होंने कोरोना ना होते हुए भी उससे जुड़ी दवाइयां ली। इस चक्कर में उनके शरीर में हाई डोज चला गया। अब उनमें कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं।- डाॅ. शुभकरण कालेर, रिटायर्ड पीएमओ

Source :-“दैनिक भास्कर”

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