17 नवंबर 2022 | चीन व ताइवान की रक्षा तैयारियों और जंग की ओर बढ़ने को लेकर एक मीडिया रिपोर्ट में बड़ा दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन ने ताइवान को अपने देश में फिर मिलाने के इरादे से अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं। इसे देखते हुए ताइपे ने भी अपनी रक्षा और युद्ध की दशा में हालात से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सिंगापुर पोस्ट ने चीन व ताइवान की रक्षा तैयारियों को लेकर रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि चीन की मंशा को भांपते हुए ताइपे ने अपनी सैन्य तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले रविवार को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने बीजिंग को चेतावनी दी थी कि यह द्वीप ताइवान के लोगों का है। उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर कहा था कि ताइवान का अस्तित्व किसी के लिए उकसावे की बात नहीं है।
सिंगापुर पोस्ट ने ताइवान के स्थानीय मीडिया पोस्ट के आधार पर यह खबर दी है। इसमें कहा गया है कि ताइवान ने लड़ाकू विमानों और नौसैनिक पोतों जैसे बड़े सैन्य प्लेटफार्मों और प्रणालियों की खरीदी के बजाए छोटे घातक एंटी-शिप हथियारों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर फोकस किया है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जिस तरह अपनी सेना को युद्ध की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है, उसी तरह ताइवान की नेता ने भी साफ कहा है कि वह जिनपिंग की नीतियों के समक्ष सरेंडर नहीं करेंगीं। उन्होंने चीनी संप्रभुता के तहत स्वायत्तता के लिए जिनपिंग के ‘एक देश, दो सिस्टम’ के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया था। ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा था कि उनके जीवन का मिशन है कि यह द्वीप उसके लोगों का बना रहे।
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने 8 नवंबर को कहा था कि बीजिंग अपने सैन्य प्रशिक्षण को मजबूत करने और किसी भी जंग के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि चीन की सुरक्षा को लेकर अस्थिरता व अनिश्चितता बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रपति ने यह बात बीजिंग में चीन के सेंट्रल मिलेट्री कमीशन के साझा कमान सेंटर के दौरे के वक्त कही थी।
बता दें, चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि वह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार, सेना और करंसी वाला एक अलग देश है। चीन ने उसे अपनी अधीन करने के लिए सेना के इस्तेमाल की चेतावनी दी है।सोर्स :-“अमर उजाला ”