30 सितम्बर 2022 | वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) इन दिनों बाघ के कारण सुर्खियों में है। पिछले 19 दिनों से VTR में काम करनेवाले वन कर्मियों की पूरी फौज बाघ के पीछे लगी हुई है। यह वनकर्मी ना तो रात को सो पाते हैं और ना ही दिन में ढंग से खा पाते हैं। दिन-रात जैसे-जैसे बाघ अपना ठिकाना बदल रहा है, वैसे-वैसे इनके ठिकाने बदल रहे हैं। इनकी जिंदगी 19 दिनों से जंगलों के बीच में एक चुनौती के रूप में चल रही है।
ऐसा नहीं कि इन वन कर्मियों को थकान नहीं होती और इन्हें भूख नहीं सताती। लेकिन कम संसाधन में ही ये वनकर्मी आदमखोर बाघ से लोगों को राहत दिलाने के लिए तत्पर हैं। टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक नेशामणि के ने बताया कि यह समय चुनौतियों का है। हमारे सभी वनकर्मी चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार कर काम कर रहे हैं। जल्द ही मुकाम तक पहुंचेंगे।
ऑपरेशन के दौरान ही कई पड़ गए बीमार
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले दिनों में लगातार चल रहे इस ऑपरेशन में कई वनकर्मी बीमार पड़ गए हैं। जिन्हें आराम के लिए छुट्टी पर भेजा गया है। हालांकि उनकी जगह पर नए वनकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। फिलहाल वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए मानव बल की संख्या बढ़ाते हुए 300 कर दिया है।
ये वनकर्मी रात के अंधेरे में आग जलाकर जंगली जानवरों से अपने को सुरक्षित रखते हुए बाघ की तलाश कर रहे हैं। जबकि कई दफा बड़े जानवरों से बचने के लिए पटाखे का प्रयोग कर रहे हैं।
पेड़ों की टहनियों पर कट जाती हैं रातें
टाइगर के रेस्क्यू के क्रम में बड़े पदाधिकारियों के द्वारा वनकर्मियों को कैमरा पर नहीं आने की हिदायत दी गई है। इसलिए कोई कर्मी कैमरा पर आना नहीं चाहता है। लेकिन बिना कैमरा पर आए हुए कर्मियों ने बताया कि ज्यादातर रातें पेड़ों पर कट जा रही हैं। दिन में भी पहरेदारी करते हुए समय कट रहा है। अब बिल्कुल स्थिति खराब होने लगी है।
कभी सड़क पर तो कभी बगीचे में बन रहा है खाना
हालांकि वन विभाग के द्वारा कर्मियों की भूख मिटाने के लिए पूरी तैयारी की गई है। बड़ी तादाद में कर्मियों के लिए खाना बनाना काफी मुश्किल पड़ रहा है। उसके बावजूद तपती धूप में किसी तरह से कर्मी खाना बना लेते हैं। आपस में सहयोग कर एकदूसरे तक पहुंचा देते हैं।
सोर्स :- “दैनिक भास्कर”