30 सितम्बर 2022 | नवरात्रि के पांचवें दिन शुक्रवार को स्कंदमाता की पूजा की जा रही है। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। माता के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। लोगों ने पूरे विधि-विधान व वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां दुर्गा के पांचवें स्वरुप स्कंदमाता की अराधना की।
माना जाता है कि स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा सृष्टि की आदि स्वरूप माना जाता है। स्कंदमाता की स्वरूप काफी प्यारा है। मां दुर्गा की स्वरूप स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दो हाथों में कमल लिए हैं, एक हाथ में कार्तिकेय बाल रूप में बैठे हुए हैं और एक अन्य हाथ में मां आशीर्वाद देते हुए नजर आ रही हैं।
मां मुंडेश्वरी धाम
भभुआ जिला स्थित मां मुंडेश्वरी मंदिर अति प्रचीन है। यह अष्टकोणीय मंदिर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है। यहां बकरे की बली चढ़ाई जाती है। पर माता रक्त की बलि नहीं लेतीं। जब बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाया जाता है तो अक्षत को मूर्ति को स्पर्श कराकर बकरे पर फेंकते हैं। बकरा अचेत, मृतप्राय हो जाता है। थोड़ी देर के बाद प्रक्रिया फिर दोहराई जाती है तो बकरा उठ खड़ा होता है।