• April 26, 2024 2:22 pm

इंग्लैंड जाने से पहले दो साल मसूरी में रहे थे ‘कोहिनूर’ के उत्तराधिकारी

20  सितंबर 2022 | ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद वर्षों से चली आ रही कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने की मांग भी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि महारानी के बेटे प्रिंस चार्ल्स के राजगद्दी संभालने के बाद कोहिनूर हीरा उनकी पत्नी कैमिला ला के पास रहेगा। कोहिनूर हीरे के असली उत्तराधिकारी महाराजा दलीप सिंह को तो सभी जानते हैं, लेकिन उनका देहरादून जिले की मसूरी से भी गहरा नाता था।

पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के बेटे महाराजा दलीप सिंह का जन्म वर्ष 1838 में हुआ था। पिता की मौत के बाद दलीप सिंह को छोटी सी उम्र में उनकी मां रानी जिंद कौर के संरक्षण में राजगद्दी पर बैठा दिया गया।

इसके बाद हालात बिगड़े और वर्ष 1845 में सिख-अंग्रेजों के युद्ध में अंग्रेजों की जीत हो गई। इसके बाद सिखों को सतलुज नदी के बायीं ओर का सारा क्षेत्र और जलंधर अंग्रेजों को समर्पित करना पड़ा। अंग्रेजों ने रानी जिंद कौर से नाबालिग राजा दलीप सिंह का संरक्षण भी छीन लिया और उनके सारे अधिकारों को सिखों की परिषद में निहित कर दिया।

इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि वर्ष 1852 में अंग्रेज दलीप सिंह को 14 वर्ष की उम्र में गोपनीय तरीके से मसूरी लेकर आए थे। यहां उन्हें दो साल तक बार्लोगंज के बारलो मेनोर हाउस में सर जॉन लॉगइन और उनकी पत्नी लेडी लॉगइन के संरक्षण में रखा गया था।
दो साल तक मसूरी में रहकर महाराजा दलीप सिंह अंग्रेज जानकारों को अपनी जेब से पैसा देकर खगोल शास्त्र, रसायन शास्त्र, ललित कला, ऊर्जा, प्राचीन भारत का इतिहास, मौसम विज्ञान, प्राकृतिक दर्शन, हिमालय की भौगोलिक स्थिति, अंग्रेजी भाषा की खासियत सहित विभिन्न विषयों पर लेक्चर कराते थे। इसे लेकर मसूरीवासियों में खासा उत्साह रहता था।
कुछ समय बाद दलीप सिंह की सेना और अंग्रेजों के बीच युद्ध छिड़ गया। इस बार भी अंग्रेजों की जीत हुई और उन्होंने दलीप सिंह के साम्राज्य को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। महाराजा दलीप सिंह को भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी की मौजूदगी में प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे सहित अपनी संपत्ति समर्पित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े थे।
अंग्रेजों ने धोखे से कोहिनूर को कब्जे में ले लिया था। कोहिनूर को लॉर्ड डलहौजी लाहौर से मुंबई लेकर आए थे। वर्ष 1854 में हेनरी लॉरेंस कोहिनूर को लेकर इंग्लैंड चले गए और इसे महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया। यहां कोहिनूर हीरे को महारानी के मुकुट में लगा दिया गया। बकौल गोपाल भारद्वाज अंग्रेजों ने यह अफवाह फैला दी कि कोहिनूर हीरे को महाराज दलीप सिंह ने उन्हें गिफ्ट किया है।

Source:-“अमर उजाला”       

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