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वैक्सीन तो बन गई, पर मधुमक्खियों को लगेगी कैसे, यह जानते हैं?

ByADMIN

Jan 7, 2023 ##affect, ##bees, ##Vaccine

07  जनवरी 2023 |  इंसानों की तरह मधुमक्‍खियां भी बीमारियों से जूझ रही हैं. दुनियाभर में इनकी कम होती संख्‍या की एक वजह बीमारियां भी हैं. लम्‍बे समय से इन्‍हें बचाने के लिए वैक्‍सीन तैयार करने की कोशिशें की जा रही थीं, जिसमें वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मधुमक्‍खियों को जीवन देने वाली दुनिया की पहली वैक्‍सीन तैयार कर ली है. अमेरिका के फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट ने वैक्‍सीन को मंजूरी दे दी है. जानिए वैक्‍सीन क्‍यों तैयार की गई और कैसे दी जाएगी.

दुनियाभर में एक तिहाई फसल की उपज मधुमक्‍खियों पर निर्भर है, लेकिन इनकी संख्‍या तेजी से घट रही है. नई वैक्‍सीन की मदद से इनकी संख्‍या को घटने से रोकने के साथ फसल की उपज को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. अमेरिका के फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट के मुतातिक, यह वैक्‍सीन अमेरिकन फाउलब्रूड डिजीज के लिए तैयार की गई है. यह बैक्‍टीरिया से होने वाला संक्रमण है. इस बीमारी का सूक्ष्‍मजीव बैक्‍टीरियम पेनिबेसिलस लार्वा मधुमक्‍ख‍ियों में फैलता है.

इस बैक्‍टीरिया का संक्रमण बढ़ने पर छत्‍ते यानी कॉलोनी की मधुमक्‍खियां कमजोर होने लगती हैं. संक्रमण बढ़ने पर मरने लगती हैं. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. ऐसे मामलों में संक्रमण को रोकने के लिए पूरे छत्‍ते को जला दिया जाता है. दुनिया के कई हिस्‍सों में इस बीमारी के मामले सामने आ चुके हैं. मधुमक्‍खी पालन से जुड़े लोग आसानी से इस बीमारी को पहचान लेते हैं क्‍योंकि मधुमक्‍खी के लार्वे में होने वाला बदलाव रुकने लगता है.

जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की एंटोमोलॉजिस्‍ट कीथ डेलाप्‍लेन कहती हैं, दुनियाभर में अमेरिकन फाउलब्रूड डिजीज (AFB) का पहला मामला अमेरिका में सामने आया था, इसके बाद यह बीमारी दुनिया के दूसरे हिस्‍सों में फैली. छत्‍ते में रानी और श्रमिक मधुमक्‍खियां होती हैं. श्रमिक मधुमक्‍खियां रॉयल जेल का निर्माण करती हैं, इसमें उस वैक्‍सीन को इंजेक्‍ट किया जाएगा ताकि जब रानी मक्‍खी इसे खाए तो उसकी शरीर में बैक्‍टीरिया से लड़ने के लिए इम्‍यूनिटी बढ़ सके.

रानी मधुमक्‍खी के शरीर में वैक्‍सीन पहुंचने के बाद इनकी अगली पीढ़ि‍यों में वैक्‍सीन का असर दिखेगा और उनमें बैक्‍टीरिया के संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी. अमेरिका में पशुपालन से जुड़ लोगों का कहना है कि बीमारी के कारण इनकी घटती संख्‍या बड़ा मुद्दा है. हर वो तीसरी चीज जो इंसान खा रहा है वो मधुमक्‍खी के कारण ही पैदा हो रही है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन का कहना है, दुनिया की 90 फीसदी कॉमर्शियल फसलों में परागण के लिए मधुमक्‍खी ही जिम्‍मेदार है.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष |”   

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